सदियों से हम ऐसी बहुत सी मान्यताओं और रीति-रिवाजों का पालन करते आ रहे हैं, जिनके धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण के बारे में हमें जानकारी नहीं है। जैसे मांग में सिंदूर लगाना, गाय को एक पवित्र प्राणी मानना और दक्षिण दिशा की ओर सिर रख कर सोना आदि। इन सभी मान्यताओं के पिछे कुछ न कुछ कारण हैं। आइए जानते इन मान्यताओं के पिछे के धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण।
1) मांग में सिंदूर लगाना
हमारे यहां मांग में सिंदूर लगाना शादीशुदा महिलाओं की पहचान है। विवाहित स्त्रियां हमेशा अपनी मांग में सिंदूर मस्तिक के बीच में भरती हैं। कुंवारी लड़कियों की तुलना में विवाहित महिलाओं की जिम्मेदारियां ज्यादा होने से उन्हें ज्यादा तनाव झेलना पड़ता हैं। सिंदूर से महिलाओं के मस्तिष्क का तनाव कम होता है। सिंदूर महिलाओं के शरीर की विद्युकीय उर्जा को नियंत्रित करता है तथा मर्मस्थल को बाहरी दुष्प्रभाओं से बचाता हैं।
2) गाय एक पवित्र प्राणी है
गाय को हम माता कहते हैं। हाल ही में राजस्थान हाई कोर्ट के जज महेशचंद्र शर्मा ने गाय को राष्ट्रीय पशु बनाए जाने का सुझाव दिया हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गाय को पवित्र क्यों माना जाता हैं? वास्तव में धरती पर गाय एकमात्र प्राणी है जो कार्बनडाई ऑक्साइड लेता है और ऑक्सीजन छोड़ता हैं। गाय की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में स्थित सूर्यकेतु स्नायु हानिकारक विकिरण को रोक कर वातावरण को स्वच्छ बनाते हैं। गाय का दूध इतना ज्यादा पौष्टिक और पाचक होता है कि छोटा बच्चा भी उसे आसानी से पचा सकता है। इसलिए गाय को पवित्र माना जाता हैं।
3) पहली रोटी गाय को खिलानी चाहिए
धार्मिक मान्यता अनुसार गाय में देवताओं का वास होता हैं। गाय को पहली रोटी खिलाने से देवता प्रसन्न होते हैं। दरअसल इंसान बहुत ही खुदगर्ज प्राणी हैं। खुद की जान बचाने के लिए वह किसी भी पशु-पक्षी की जान लेने से नहीं कतराता। पुराने जमाने में राजाओं की जान को खतरा रहता था। कोई व्यक्ति राजा के खाने में जहर न मिला दे इसकी आशंका बनी रहती थी। पहली रोटी गाय को खिला कर यह पडताल की जाती थी कि खाने में जहर हैं या नहीं। गाय को कुछ नहीं हुआ यह देख कर बाद में वह भोजन राजाओं को खिलाया जाता था। अब राजा-महाराजाओं का राज तो नहीं रहा लेकिन पुरानी वही मान्यता चली आ रही हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोन से देखें तो यदि रोटी बेलने वाला चकला और बेलन साफ धुला हुआ नहीं हैं तो चकले और बेलन पर लगी हुई धूल पहली रोटी में आ जाएगी। इस तरह हमको शुद्ध रोटी मिलेगी।
4) अंतिम रोटी कुत्ते को खिलानी चाहिए
धार्मिक मान्यता हैं कि अंतिम रोटी कुत्ते को खिलानी चाहिए। क्योंकि
कुत्ते को हिंदू देवता भैरव महाराज का सेवक माना जाता हैं। कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं और हर तरह के आकस्मिक संकटों से हमारी रक्षा करते हैं। दरअसल कुत्ता एक वफ़ादार प्राणी होने के साथ-साथ, एक ऐसा प्राणी हैं जो भविष्य में होने वाली घटनाओं को देखने की क्षमता रखता हैं। कुत्ता कई किलोमीटर तक की गंध सूंघ लेता है। इस तरह कुत्ता हमें आने वाले संकटों से बचाता हैं। कुत्ता हमारे लिए बहुत उपयोगी प्राणी हैं लेकिन चूंकि कुत्ते को हम एक निचले दर्जे का प्राणी मानते हैं इसलिए कुत्ते को रोटी तो खिलाते हैं लेकिन अंतिम!5) बाएँ ओर करवट लेकर सोना चाहिए
हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों और दूसरी अनुपयोगी चीजों को बाहर करने का कार्य किडनी करती हैं। बाएँ करवट सोने से किडनी पर दबाव न पड़ने से कई प्रकार की बिमारियों के होने का खतरा कम हो जाता हैं। भोजन आसानी से पचता हैं। पीठ दर्द में आराम मिलता हैं। गर्भावस्था के दौरान युट्रस पर दबाव नहीं पड़ता और ब्लड सर्क्युलेशन नियमित बना रहता हैं।
6) दक्षिण दिशा की ओर सिर रख कर सोना चाहिए
वातावरण में चुम्बकिय शक्ति होती हैं। ये शक्ति दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा की ओर बहती हैं। जब हम दक्षिण दिशा की ओर सिर रख कर सोते है तो यह उर्जा हमारे सिर से प्रवेश कर-कर पैरों के रास्ते बाहर निकल जाती हैं। इस क्रिया से भोजन आसानी से पच जाता हैं। सुबह जब हम सोकर उठते हैं तो तनाव दूर होकर दिमाग शांत रहने से ताजगी महसूस होती हैं।
7) मृतक का सिर उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए
कहते हैं कि मरने के बाद भी कुछ क्षणों तक प्राण मस्तिष्क में रहते हैं। अत: मृतक का सिर उत्तर दिशा में रखने से ध्रृवाकर्षण के कारण प्राण शीघ्र निकल जाते हैं।
8) माला में 108 मनके होते हैं
खगोल विद्या के अनुसार एक वर्ष में 27 नक्षत्र होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र के चार चरण होते हैं। इस प्रकार 27 गुना 4 = 108 हुए।
9) बैठे-बैठे पैर नहीं हिलाना चाहिए
धार्मिक मान्यता अनुसार इसे अशुभ कार्य माना गया हैं। माना जाता हैं कि पैर हिलाने से धन का नाश होता हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोन से बैठे-बैठे पैर हिलाने से पैरों कि नसों और हृदय पर विपरीत प्रभाव पड़ता हैं। जोड़ों के दर्द की समस्या हो सकती हैं।
10) मंदिर जाना
क्या आपने कभी सोचा हैं कि मंदिर जाने के पिछे भी वैज्ञानिक कारण हो सकते हैं? हां दोस्तों, मंदिर जाने के पीछे भी वैज्ञानिक कारण हैं। मंदिर की बनावट कुछ इस तरह की होती हैं कि पृथ्वी के उत्तर और दक्षिण पोल के द्वारा सकारात्मक उर्जा का निर्माण होता हैं जो मनुष्य के लिए बहुत लाभदायक होता हैं। मंदिर में शिखर होते हैं। शिखर की भीतरी सतह से टकराकर उर्जा एवं ध्वनी तरंगे व्यक्ती के उपर पड़ने से इंसान को असीम सुख का अनुभव होता हैं।
11) मंदिर में घंटी बजाना
घंटी को देवताओं का दूत कहा जाता हैं। जब हम घंटी बजाते हैं तो यह दूत भगवान के पास जाकर हमारे आगमन की सुचना भगवान को देता हैं। दरअसल घंटी की मनमोहक एवं कर्णप्रिय ध्वनि हमारें मन-मस्तिष्क में अध्यात्म का भाव जागृत करती हैं। जब घंटी बजाई जाती हैं तब वातावरण में कंपन पैदा होता हैं, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता हैं। इस कंपन का फायदा यह हैं कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी विषाणु एवं सुक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता हैं।
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