दोस्तो, कहीं आपको यह तो नहीं लग रहा कि शिर्षक लिखने में मुझसे गलती हो गई और मैने गलती से 'वंश' की जगह 'अंश' लिख दिया! जी नहीं, मैने बिलकुल सही लिखा है और आपने बिलकुल सही पढ़ा है। मेरा 'अंश' आगे बढ़ा...! जब बेटे को बेटा होता है तब हम कहते है मेरा 'वंश' आगे बढ़ा...। लेकिन जब बेटी को बेटी होती है तब हम क्या कहेंगे? क्या बेटी में अपना अंश नहीं होता? और क्या बेटी के बेटी में अपना अंश नहीं है? यह बात तो विज्ञान भी मानता है कि बच्चे में उसके नाना-नानी का अंश आता है। इसलिए ही मैने कहा की मेरा 'अंश' आगे बढ़ा...!
हां दोस्तो, 11 मार्च 2017 का दिन मेरे लिए एक विशेष खुशी का पैगाम लेकर आया। इस दिन मैं एक नन्हीं सी परी की नानी बन गई, नानी...! कितना अच्छा लगता है न यह संबोधन! विश्वास ही नहीं होता...कल तक जो खुद एक बच्ची थी, वो आज इतनी बड़ी हो गई कि एक बच्ची की माँ बन गई! कभी-कभी मन में विचार आता है कि जीस लड़की से यदा-कदा बुखार आने पर क्रोसिन की एक गोली गीटक के नहीं होती थी...वो लड़की डिलीवरी में इतनी गोलियां कैसे गीटकती होगी? कैसे सहन किया होगा उसने इतना दर्द? उसकी नॉर्मल डिलीवरी हुई है। उस वक्त तो बहुत दर्द होता है...कैसे सहा होगा ये दर्द मेरी बच्ची ने?
दोस्तों, कुदरत का ये कैसा करिश्मा है...हर नारी जानती है कि प्रेग्नसी के दौरान एवं डिलिवरी के समय बहुत तकलीफ होती है फ़िर भी हर नारी माँ बनना चाहती है। माँ बनने के लिए कुछ भी सहने को तैयार रहती है! माँ बनते ही नारी को अपने आप सब कुछ आ जाता है! बच्चे की नैपी बदलने से लेकर रात-रात भर जागने तक...सब कुछ! जीस लड़की ने कभी इतने छोटे बच्चे को गोद में भी नहीं लिया...वो ही लड़की इतने छोटे बच्चे का काम इतने कुशलता से करती है कि जैसे सालों से वह यह काम करते आई है...या किसी स्कुल में जाकर बाकायदा प्रशिक्षण लिया है...और वो भी A+ ग्रेड में पास होकर! बेशक, ये सभी काम हर नारी करती है...लेकिन हर नारी के मन में कितनी शंकाये रहती है...अपने बच्चे की सही परवरीश के लिए वो कितनी आशंकित रहती है...बच्चे की खुशहाली के लिए वो क्या क्या कुर्बान करती है...ये बात एक नारी ही समझ सकती है। खैर, इस खुशी के अवसर पर भी मैं बस लिखते जा रहीं हूं...क्या करूं ब्लॉगर हूं ना...अत: आदत से मजबूर हूं...और माँ हूं इसलिए बेटी की फिक्र होती है...सच कहूं तो मुझे नानी बनने की कुछ ज्यादा ही खुशी हुई है। यहीं खुशी मैं आप सभी के साथ शेयर कर रहीं हूं।
अंत में, मैं उस परमपिता ईश्वर को मेरा अंश आगे बढ़ाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं।
छोटी सी- प्यारी सी नन्ही सी आई कोई परी...
भोली सी, न्यारी सी, अच्छी सी आई कोई परी...
मेरा अंश आगे बढ़ाने आई कोई परी...!!
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