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आनंद कुमार (सुपर 30) का जीवन परिचय | Anand Kumar (Super 30 Founder) Biography in Hindi

सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार की जीवनी, संघर्ष, परिवार, विवाद और फ़िल्में | Super 30 Founder Anand Kumar Biography, Struggle, Family Controversy and Films in Hindi

शिक्षा एक मुलभुत अधिकार हैं हर बच्चे को ज्ञान अर्जित करने का समान अवसर मिलना चाहिए लेकिन कभी-कभी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण बच्चे उच्च शिक्षा लेने से चूक जाते हैं ऐसे लोगों के लिए आनंद कुमार भगवान समान हैं. आनंद कुमार एक ऐसा नाम हैं जिससे बहुत लोग परिचित होंगे. आनंद कुमार एक भारतीय गणितज्ञ हैं और बिहार में सुपर 30 नाम से कोचिंग चलाते हैं. इसके अलावा वह कई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्रिकाओं में लेखक भी हैं.

Contents [hide]

  • 1 आनंद कुमार का जन्म और शुरुआती जीवन
  • 2 आनंद कुमार जीवन संघर्ष
  • 3 आनंद कुमार की कोचिंग
  • 4 आनंद कुमार और सुपर 30
  • 5 सुपर 30 की चयन प्रक्रिया
  • 6 सुपर 30 की फंडिंग
  • 7 सुपर 30 की सफलता
  • 8 आनंद कुमार का परिवार
  • 9 आनंद कुमार को प्राप्त सम्मान
  • 10 आनंद कुमार से जुड़े विवाद
  • 11 सुपर 30 और आनंद कुमार पर आधारित फिल्मे और शो
बिंदु(Points) जानकारी (Information)
नाम (Name) आनंद कुमार
जन्म (Birth Date) 1 जनवरी 1973
जन्म स्थान (Birth Place) पटना, बिहार
पिता का नाम (Father Name) ज्ञात नहीं (बैंक क्लर्क)
पेशा (Profession) टीचर, गणितज्ञ
राष्ट्रीय पुरुस्कार (National Awards) राष्ट्रीय बाल कल्याण अवार्ड
पत्नी का नाम (Wife Name) रितु कुमारी
प्रसिद्धि कारण (Reason for Famous) सुपर 30 (कोचिंग संस्था)
कास्ट (Caste) दलित

आनंद कुमार का जन्म और शुरुआती जीवन (Anand Kumar Birth and Early Life)

आनंद कुमार का जन्म 1 जनवरी 1973 को बिहार के पटना शहर में हुआ था. वह एक मध्यमवर्गीय निम्न परिवार से सम्बन्ध रखते हैं. उनकी माता का नाम जयंती देवी हैं उनके पिता डाकघर में क्लर्क के पद पर काम किया करते थे. आनंद को बचपन से पढ़ाई का शौक था लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि पिता उनका प्राइवेट स्कूल का ख़र्चा उठा पाए. इसीलिए उनका दाख़िला पटना के ही एक सरकारी स्कूल “पटना हाईस्कूल” में करा दिया गया. परिवार में उनके अलावा उनके एक छोटे भाई प्रणव कुमार भी हैं.

आनंद कुमार को बचपन से ही गणित में अच्छी रूचि थी. वह हर दिन घंटों तक गणित पढ़ा करते थे और छोटे भाई और छोटे बच्चों को भी पढाया करते थे. स्कूल पूरा होने के बाद उन्होंने बिहार के उच्च महाविद्यालय “बिहार नेशनल कॉलेज” में एडमिशन लिया जिसमे उन्होंने ग्रेजुएशन के दौरान नंबर थ्योरी “हैप्पी नंबर्स” पर पेपर सबमिट किये थे. इस पेपर का प्रकाशन मेथेमेटिकल स्पेक्ट्रम और मेथेमेटिकल गेजेट में भी किया गया था.

आनंद कुमार जीवन संघर्ष (Anand Kumar Life Struggle)

कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनके पिता की असमय मृत्यु हो गयी. जिसके बाद उनके ऊपर पूरे परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी आ गई. जिस समय यह परिस्थिति आई उन्हें कैम्ब्रिज एंड शेफ़्फील्ड यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई का प्रस्ताव भी मिला था. लेकिन आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण उन्हें यह सपना बीच में ही छोड़ना पड़ा.

परिवार को आर्थिक तंगी से बचने के लिए आनंद कुमार सुबह-सुबह वह कॉलेज जाकर गणित में शिक्षा लेते हैं और शाम के समय माता और भाई के साथ जाकर पापड़ बेचा करते थे. यह पापड़ उनकी माताजी घर पर ही बनाया करती थी. उन्होंने पापड़ का नाम “आनंद पापड़” रखा था. इस दौरान उन्होंने बच्चों को पढ़ाने का काम जारी रखा.

पढ़ाई में ललक होने के कारण वह 6 घंटे का सफ़र करके बनारस पढने के लिए जाया करते थे क्योंकि उस समय बिहार में ऐसी बड़ी लाइब्रेरी नहीं थी जिसमे सभी प्रकार की किताबे मिल जाये. सप्ताह के दो दिन वह बनारस में ही रहा करते थे. वहां पर स्थित लाइब्रेरी में दिन भर पढ़ाई किया करते थे. फिर सोमवार को वह पटना लौट जाया करते थे.

आनंद कुमार की कोचिंग (Anand Kumar Coaching Class)

पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद जिस डाक घर में उनके पिताजी काम किया करते थे वहां से उनके पास डाक घर में नौकरी करने का प्रस्ताव भी आया लेकिन उन्होंने नौकरी करने से मना कर दिया और बच्चों को पढ़ाने में जुट गए. इस उद्देश्य के लिए उन्होंने रामानुजन स्कूल ऑफ़ मैथमेटिक्स की स्थापना की.

आनंद ने “रामानुजन स्कूल ऑफ़ मैथमेटिक्स” कोचिंग क्लास खोलने के लिए 500 रूपए महीने किराये पर एक रूम लिया. उन्होंने अपनी कोचिंग संस्था की शुरुआत मात्र दो विद्यार्थियों से की. दो सालों में में विद्यार्थियों की संख्या 36 तक पहुँच गई. तीसरे साल तक 500 से ज्यादा बच्चे उनके कोचिंग संस्थान में पढ़ने लग गए.

आनंद कुमार और सुपर 30

वर्ष 2000 में आनंद कुमार के पास एक ग़रीब छात्र पढ़ने आया उसकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह एक रुपए भी अपनी पढ़ाई पर खर्च कर पाए. वह बच्चा आईआईटी की पढ़ाई करना चाहता था. आनंद कुमार उस बच्चे की पढ़ाई का पूरा खर्च और रहने की व्यवस्था करते हैं. पहली ही परीक्षा में उस बच्चे का सिलेक्शन आईआईटी (IIT) में हो गया. तब आनंद कुमार का ख्याल में आया उस बच्चे जैसे कितने ही कुशाग्र बुद्धि वाले बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण पढ़ाई नहीं कर पाते. इससे ही प्रेरित होकर आनंद ने सुपर 30 की नीव रखी.

इस सुपर 30 में केवल उन्ही विद्यार्थियों का चयन किया जाता हैं जो कि आर्थिक रूप से गरीब परिवार के हो लेकिन पढाई में अव्वल हो.

सुपर 30 की चयन प्रक्रिया (Anand Kumar and Super 30)

वर्ष 2002 में ग़रीब विद्यार्थियों के निवेदन आनंद कुमार ने सुपर 30 की स्थापना की. सुपर 30 में 30 ऐसे विद्यार्थियों को पढाया जाता हैं जो कि महँगी कोचिंग का ख़र्चा नहीं उठा सकते हैं. इसकी संख्या 30 इसीलिए रखी हैं क्योंकि इन विद्यार्थियों का रहने का खर्चा आनंद कुमार स्वयं उठाते हैं और इसके अलावा उनके स्टडी मटेरियल की भी व्यवस्था की जाती हैं. इन 30 विद्यार्थियों के चयन के लिए हर साल मई महीने में एक इंट्रेंस एग्जाम आयोजित की जाती हैं. जिसके आधार पर 30 विद्यार्थियों का चयन किया जाता हैं.

सुपर 30 में आने के लिए देश के बड़े-बड़े शहरों के बच्चे इस परीक्षा में शामिल होते हैं. एक बार विद्यार्थी का चयन हो आने के बाद आनंद के भाई प्रणव स्वयं विद्यार्थी के घर जाकर आर्थिक स्थिति की की जाँच करते हैं.

आनंद कुमार की सुपर 30 को आईआईटी परीक्षा में चयन होने की गारंटी माना जाता हैं कई बार तो ऐसा हुआ हैं कि सभी के सभी 30 विद्यार्थियों का सिलेक्शन आईआईटी संस्थानों में हो जाता हैं. 2003 से 2017 तक आनंद कुमार द्वारा पढाये गए 450 विद्यार्थियों में से 391 विद्यार्थियों का चयन आईआईटी के लिए हुआ हैं जो कि इस समय देश की सम्माननीय पदों जैसे आईएएस, आईपीएस पर काम कर रहे हैं.

सुपर 30 की फंडिंग (Super 30 Funding)

आनंद कुमार सुपर 30 का पूरा खर्च उन्ही के द्वारा चलाये जा रहे दूसरे कोचिंग संस्था “रामानुजम स्कूल ऑफ़ मैथमेटिक्स” द्वारा निकालते हैं. आनंद कुमार के सुपर 30 को किसी भी प्रकार की प्राइवेट संस्था या फिर सरकार की और से फंडिंग नहीं की जाती हैं. आनंद कुमार के पास कई बार देश-विदेश से आर्थिक मदद के प्रस्ताव आये लेकिन वह इसे खुद के प्रयत्नों से चलाने में यकीन रखते हैं.

सुपर 30 की सफलता (Anand Kumar Success Story)

आनंद कुमार जिस सुपर 30 को पढ़ाते हैं उसे कॉम्पिटिटिव एग्जाम में सफलता की कुंजी माना जाता हैं. 2002 से शुरू की गयी इस कोचिंग संस्था पर रिजल्ट्स के दौरान पूरे देशभर की निगाहे रहती हैं. हर अखबार में आनंद कुमार के सुपर 30 का जिक्र होता हैं.

आनंद कुमार ने सुपर 30 की शुरुआत वर्ष 2002 में 30 स्टूडेंट्स के साथ की थी. जिसका पहला रिजल्ट 2003 में आया. पहली बार में आनंद कुमार के 30 में 18 स्टूडेंट ने आईआईटी की परीक्षा पास की. जिसके बाद यह आँकड़ा अगले साल बढ़ कर 22 पहुँच गया. 2005 में और तरक्की करते हुए 30 में से 26 विद्याथियों ने आईआईटी पास कर ली. इसी प्रकार 2006 और 2007 में 28 का चयन आईआईटी में हो गया.

आनंद कुमार की सुपर 30 के लिए स्वर्णिम युग 2008 के बाद आया जिसमे लगातार 3 सालों तक सुपर 30 से सभी छात्रों का चयन आईआईटी में हो गया. इसके बाद सुपर 30 पूरे देशभर में पहचाने जाने लगा. अमीर से अमीर लोग अपने बच्चे के सफल भविष्य के लिए आनंद कुमार के पास पहुँचने लगे और बच्चों को पढ़ाने की डिमांड करने लगे. यही सुपर 30 और आनंद कुमार के जीवन की सबसे बड़ी सफलता थी.

वर्ष चयनित स्टूडेंट की संख्या (30 में से)
2003 18
2004 22
2005 26
2006 28
2007 28
2008 30
2009 30
2010 30
2011 24
2012 27
2013 28
2014 27
20015 25
2016 28
2017 30
2018 26

आनंद कुमार का परिवार (Anand Kumar Family)

आनंद कुमार अपने परिवार के साथ पटना शहर के मीठापुर इलाके में रहते हैं. उनके पिताजी का की मृत्यु 1992 में हो गयी थी. उनके परिवार उनकी माताजी जयंती देवी, उनका एक छोटा भाई प्रणव कुमार है जो एक वायलिनिस्ट हैं. आनंद कुमार का विवाह रितु कुमारी से हुआ हैं रितु कुमारी आईआईटी रुड़की की पूर्व छात्रा भी हैं. आनंद और रितु का एक बेटा भी हैं जिसका नाम जगत कुमार हैं.

आनंद कुमार को प्राप्त सम्मान (Anand Kumar Achievements)

  • आनंद कुमार को पढाई के क्षेत्र में सबसे बड़ा पुरूस्कार “राष्ट्रीय बाल कल्याण अवार्ड” राष्ट्रपति रामनाथ कौविंद द्वारा 14 नवम्बर 2017 को प्रदान किया गया. जिसमे उन्हें एक प्रशस्तिपत्र और 1 लाख के इनाम के साथ राष्ट्रपति भवन में नवाजा गया.
  • गरीब छात्रों को मुफ्त में पढ़ाई कराने के लिए उनका नाम “लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड” में शामिल किया गया है. यह सम्मान उन्हें वर्ष 2009 में दिया गया था.
  • इसके बाद विश्व प्रसिद्ध “टाइम” मैगज़ीन द्वारा सुपर 30 को बेस्ट इंस्टिट्यूट ऑफ़ एशिया 2010 में शामिल किया गया. इस देश के लिए काफी गर्व की बात थी.
  • वर्ष 2010 में आनंद कुमार को बिहार के सर्वश्रेष्ठ सम्मान “मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा पुरस्कार” से सम्मानित किया गया. इसी वर्ष उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा बैंगलोर में “प्रोफेसर यशवंत केलकर युवा पुरस्कार” अवार्ड भी दिया गया है.

आनंद कुमार से जुड़े विवाद

आनंद कुमार के सुपर 30 ने जितनी सफलता पायी उससे कहीं ज्यादा उन्हें विवादों का सामना भी करना पड़ा. आनंद कुमार पर कई सारे धोखाधड़ी के भी केस चल रहे हैं. यह केस उन्होंने लगाये हैं जो कभी आनंद के साथ ही सुपर 30 में पढाया करते थे.

  • 10 जून 2018 को आईआईटी का परिणाम आने के बाद आनंद कुमार के द्वारा की गयी फेसबुक पोस्ट के अनुसार उनके सुपर 30 में से 26 छात्राओं का चयन हो गया हैं. लेकिन इन 26 चयनित छात्रों की सूची कभी भी आनंद कुमार द्वारा जारी नहीं की गयी. इसके पिछले सालों तक आनंद कुमार द्वारा चयनित छात्रों के नाम और रोल नंबर की सूची जारी की जाती थी.
  • आनंद कुमार और पटना के पूर्व डी.जी.पी अभयानंद के बीच भी गहरा विवाद हैं. डी.जी.पी अभयानंद आनंद कुमार के सुपर 30 को फिजिक्स पढाया करते थे. 2002 में जब सुपर 30 की स्थापना हुई थी तब अभयानंद ने आनंद की खूब मदद भी की थी.
  • आनंद कुमार की डिग्री और रिसर्च पर भी विवाद चल रहा हैं. आनंद के अनुसार 1994 में उन्होंने गणित में रिसर्च की थी जिसका शीर्षक था “हैप्पी नंबर्स” जिसे मैथमेटिकल स्पेक्ट्रम में प्रकाशित किया गया था. लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ़ शेफ्फील्ड के स्कूल ऑफ़ मैथमेटिक्स की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर एमा के अनुसार 1993-94 में इस प्रकार की कोई भी रिसर्च प्रकाशित नहीं की गयी थी.
  • आनंद कुमार पर 2017 और 2018 में चुने गए छात्रों की समानता के विषय पर भी विवाद हैं. उन पर आरोप लगे हैं कि 2017 और 18 की बैच में 4 बच्चे समान थे.
  • एक छात्र अरबाज़ आलम ने भी आनंद कुमार पर आरोप लगाया हैं कि उनके नाम का गलत इस्तेमाल हुआ हैं. अरबाज़ आलम पटना आनंद के सुपर 30 के लिए पढने के लिए गए थे लेकिन उन्हें शामिल करने से मना कर दिया गया था. अरबाज़ आलम गरीब परिवार से आते हैं इस कारण उन्होंने घर बैठे-बैठे आईआईटी की पढाई की और परीक्षा पास की. जब रिजल्ट आया तब आनंद कुमार ने अरबाज़ आलम का नाम सुपर 30 में लिख दिया और बताया कि वह सुपर 30 में ही पढ़े थे.

सुपर 30 और आनंद कुमार पर आधारित फिल्मे और शो (Shows and Films Based on Anand Kumar)

आनंद कुमार और उनके छात्रों से प्रेरित एक फिल्म “सुपर 30” 25 जनवरी 2019 को रिलीज़ होने वाली हैं. यह फिल्म एक बायोग्राफी नहीं हैं लेकिन उनके जीवन से प्रेरित हैं. इस फिल्म में आनंद कुमार का रोल अभिनेता ऋतिक रोशन निभाने वाले हैं इस फिल्म में उनके साथ मृणाल ठाकुर और पंकज त्रिपाठी जैसे कलाकार देखने को मिलेंगे. इस फिल्म को विकास बहल और कबीर खान निर्देशित कर रहे हैं. फिल्म का पहला पोस्टर टीचर्स डे पर रिलीज़ किया गया था.

वर्ष 2009 में आनंद कुमार और सुपर 30 पर डिस्कवरी चैनल ने 1 घंटे का स्पेशल शो बनाया था.

इसके बाद इसी साल बीबीसी द्वारा आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रम में भी आनंद कुमार से जुडी सुपर 30 के बारे में बताया गया था.

2 सितम्बर 2017 में अमिताभ बच्चन के प्रसिद्ध टेलीविज़न शो “कौन बनेगा करोडपति सीजन 9” में भी आनंद कुमार गेस्ट के तौर पर पधारे थे. इस शो में उनके साथ उनके मित्र अनूप कुमार के साथ पहुंचे थे. जो कि एक बड़ी कंपनी में कार्यरत हैं. इस शो पर उन्होंने 25 लाख रूपए की राशी जीती थी. जिसे सुपर 30 के लिए खर्च करने की बार आनंद कुमार ने कही थी.

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