अहमदाबाद | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की सबसे ऊंची और बड़ी प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ देशवासियों को समर्पित कर दिया| यह प्रतिमा पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट रही है| 182 मीटर ऊंची गगनचुंबी प्रतिमा के निर्माण की शुरुआत करने की घोषणा पीएम मोदी ने 2014 में की थी| यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है| इसके बाद 128 मीटर ऊंची चीन की स्प्रिंग बुद्ध और न्यूयॉर्क की 90 मीटर ऊंची स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का नंबर आता है| पीएम मोदी ने अपनी मन की बात में भी इस प्रतिमा का जिक्र किया था और कहा था कि यह प्रतिमा देशवासियों के आन बान और शान का प्रतीक है |
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प्रतिमा की विशेषताएँ
सबसे कम समय में तैयार हुई प्रतिमा
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने में पांच साल लगे| सबसे कम समय में बनने वाली यह दुनिया की पहली प्रतिमा है| इससे पहले किसी भी प्रतिमा को इतने कम समय में नहीं बनाया जा सका है |
भूकंप का नहीं होगा असर
चीफ इंजीनियर के मुताबिक, प्रतिमा का निर्माण भूकंप रोधी तकनीक से किया गया है| इस पर 6.5 तीव्रता का भूकंप और 220 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाओं का भी असर नहीं होगा| चीफ इंजीनियर बताते हैं कि इतनी ऊंचाई होने के बाद भी इसतरह की तकनीक का प्रयोग किया गया है कि विषम परिस्थितियों में भी प्रतिमा को नुकसान नहीं होगा |
मूर्ति के हृदय से दिखेगा नर्मदा बांध का नजारा
स्टैच्यू में लगी लिफ्ट की मदद से पर्यटक सरदार के ह्दय तक जा सकेंगे| वे यहां बनी गैलरी भी देख सकेंगे। गैलरी इस तरह से बनाई गई है कि इसे देखने वाले लोग सरदार सरोवर बांध के अलावा नर्मदा के 17 किमी लंबे तट पर फैली फूलों की घाटी का मनोरम नजारा देख सकेंगे |
मुश्किल से मिला था हंसता हुआ चेहरा
मूर्तिकार रामवनजी सुतार बताते है इस प्रतिमा को तैयार करना इतना आसान नहीं था| इस प्रतिमा को तैयार करने से पहले अक्सर गंभीर मुद्रा में रहने वाले पटेल के चेहरे को लेकर काफी मेहनत करना पड़ा| वे बताते है कि पटेल का चेहरा तैयार करने के लिए कई चेहरों को देखा गया| आखिरकार मुश्किल से पटेल का एक थोड़ा हंसता हुआ चेहरा मिला| जिसको अंतिम रुप से चयन किया गया |
किसानों ने दान किये लोहा
बताया जाता है कि इस प्रतिमा के निर्माण के लिए 1.69 गांवों के किसानों ने लोहे का दान दिया है| इसमें 135 मीट्रिक टन लोहे का दान मिला, जो इसमें इस्तेमाल हुआ है |
2,989 करोड़ रुपये हुए खर्च
सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने में कुल 2,989 करोड़ रुपए का खर्च आया है| जिसमें 1,347 प्रतिमा निर्माण पर खर्च हुआ है जबकि जबकि 235 करोड़ रुपये प्रदर्शनी हॉल और सभागार केंद्र पर खर्च किये गये हैं| इसके अलावा 657 करोड़ रुपए निर्माण कार्य पूरा होने के बाद अगले 15 साल तक प्रतिमा के रखरखाव के लिए खर्च किए जाएंगे| जबकि 83 करोड रुपए की लागत से पुल का निर्माण किया गया है |
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