भोपाल | अनैतिक रूप से शारारिक व्यवहार करने के जुर्म में भोपाल शहर की केंद्रीय जेल में बंद युगांडा राष्ट्र की महिलाओं के पर चल रहे केस की परीक्षण को अनुवादक प्राप्त नहीं होने से टालना पड़ा है युगांडा राष्ट्र की भाषा को जानने और समझने वाला व्याख्याता नहीं मिलने के कारण इस केस का परीक्षण झुकाव की तरफ में लटक चुका है |
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गौरतलब इस बात का हे कि प्रथम श्रेणी न्यायिक न्यायधीश न्यायालय ने 11 अगस्त के दिन को इस केस का परीक्षण प्रारंभ किया था परंतु अनुवादक की अनुपस्थिति के अभाव में गवाही देने की प्रक्रिया को 25 अगस्त के दिन तक के लिए आगे बढ़ा दिया गया था युगांडा राष्ट्र की महिलाओं ने न्यायालय से दूसरी बार व्याख्याता को उपस्थित कराने के लिए मांग की थी |
इसके पूर्व 15 मई के दिन को युगांडा की भाषाओं के ज्ञाता की मांग की गई थी न्यायालय मैं इसको स्वीकार करते हुए अभियोजन अधिकारियों को मुहैया कराने का आदेश दिया गया था परंतु अब तक कोई भी व्याख्याता प्राप्त नहीं हो सका 11 अगस्त के दिन को महिलाओं ने एक बार फिर से अपने द्वारा किए गए एडवोकेट मनोज श्रीवास्तव के द्वारा न्यायालय को कहां गया कि नहीं तो उनको हिंदी समझ में आती है और नहीं उनको अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्त है |
बिना ज्ञाता के वह महिलाएं ना तो कोई भारतीय न्याय प्रक्रिया की भाषा को समझ पाएगी और ना ही उनके ऊपर लगाए गए आरोप से खुद को बचा पाएगी इसलिए जितना जल्दी हो सके उतना युगांडा राष्ट्र की भाषा का ज्ञाता उपलब्ध करवाया जाए हलाकि आरोपी दूसरे देश की महिलाओं के आवेदन में उनकी राष्ट्रभाषा का नाम पूर्ण रुप से स्पष्ट नहीं हुआ है इसके कारण भी ज्ञाता को ढूंढने में कई परेशानी आ रही है जो युगांडा राष्ट्रों में भी भारत राष्ट्र की तरह अनेक प्रकार की भाषाएं चलती है और उनको शासन द्वारा मान्यता भी प्राप्त है |
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