डुमरांव । भारी वाहनों के दबाव से महरौरा पुल के पश्चिमी भाग का पहुंच बेस धंस गया है। साथ ही पुल को जोडने वाली सड़क धंस कर गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। अब इस पुल से वाहनों का गुजरना खतरनाक हो गया है। हल्की बारिश होने पर पुल के पश्चिमी भाग में फिसलन हो जाता है। फिसलन के कारण वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना बनी रहती है।
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कृषि महाविद्यालय से महरौरा पुल होकर कोरानसराय को जाने वाली सड़क का उपयोग काफी समय से वाहन चालक बाईपास के रुप में उपयोग कर रहे हैं। सुबह आठ बजे से रात्रि आठ बजे तक शहर में नो इंट्री रहती है। ट्रक चालक संतोष यादव ने बताया कि जब शहर में नो इंट्री रहती है, तब लगभग सभी बड़े वाहनों के चालक महरौरा होते अपनी मंजिल की ओर निकलते हैं।
डुमरांव-बिक्रमगंज पथ पर राज अस्पताल के समीप होने वाले जाम से बचने के लिए दो पहिया वाहनों के चालक भी इस रास्ते से होकर गुजरते हैं। डुमरांव-बिक्रमगंज पथ पर लगभग हर दिन होने वाले जाम से राहत के लिए बाईपास की मांग पिछले दो सालों से उठ रही है। लेकिन अभी तक इस मामले में बात आगे नहीं बढ़ी है। नया थाना की सड़क को नहर की सड़क से जोड़ने की पहल हुई थी। लेकिन, पुलिया का निर्माण नहीं होने से बात आगे नहीं बढ़ी।
एनओसी नहीं मिलने से पुलिया का नहीं हुआ निर्माण
बिक्रमगंज-डुमरांव मुख्य पथ से महरौरा की सड़क जुड़ती है। कृषि महाविद्यालय से महरौरा होते हुए भारी वाहनों के आवाजाही से पुल का पश्चिमी पहुंच पथ का बेस धंस गया है। पश्चिमी भाग से पुल पार करने के लिए वाहन चालकों को मशक्कत करनी पड़ती है।
बरसात के दिनों में पूरब भाग से कोरानसराय जाने के क्रम में वाहनों के फिसलकर गड्ढ़े में पलटने का खतरा बना रहता है। खतरनाक होने के बावजूद भी चालक इस रास्ते से गुजरते हैं। वाहन चालकों का कहना है कि शहर से बाहर निकलने का दूसरा विकल्प नहीं होने के कारण मजबूरी में खतरों से खेलना पड़ता है।
एनओसी मिलते ही दुरुस्त कराई जाएगी सड़क
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