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एक व्यंग्य : अवसाद में हूं ..

अवसाद में हूँ... जी हाँ, आजकल मैं अवसाद में हूँ । अवसाद में हूँ इस लिए नहीं कि कल बड़े बास ने डाँट पिला दी।  इस ठलुए निठलुए पर जब वह डाँट पिलाने का कोई असर नहीं देखते हैं तो  खुद ही अवसाद में चले जाते हैं। मैं अवसाद में इसलिए भी नही हूँ कि मैं रिटायर हो गया -ताड़ से गिरा खज़ूर पे अटका और श्रीमती जी की सेवा में लग गया और मटर [अभी सीजनल फ़ली यही है] छीलने में लग गया। अवसाद में इसलिए भी नहीं हूँ कि



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