तेरी हर शै मुझे भाए, तो क्या वो इश्क़ होगा
मुझे तू देख शरमाए, तो क्या वो इश्क़ होगा
हवा में गूंजती है जो हमेशा इश्क़ बन कर
वो सरगम सुन नहीं पाए तो क्या वो इश्क़ होगा
पिए ना जो कभी झूठा, मगर मिलने पे अकसर
गटक जाए मेरी चाए, तो क्या वो इश्क़ होगा
सभी से हँस के बोले, पीठ पीछे मुंह चिढ़ाए
मेरे नज़दीक इतराए, तो क्या वो इश्क़ होगा
हज़ारों बार हाए, बाय, उनको बोलने पर
पलट के बोल दे हाए, तो क्या वो इश्क़ होगा
सभी रिश्ते, बहू, बेटी, बहन, माँ, के निभा कर
मेरे पहलू में इठलाए, तो क्या वो इश्क़ होगा
तुझे सोचा नहीं होता अभी पर यूँ अचानक
नज़र आएं तेरे साए तो क्या वो इश्क़ होगा
हवा मगरिब, मैं मशरिक, उड़ के चुन्नी आसमानी
मेरी जानिब चली आए तो क्या वो इश्क़ होगा
उसे छू कर, मुझे छू कर, कभी जो शोख तितली
उड़ी जाए, उड़ी जाए, तो क्या वो इश्क़ होगा
तेरी पाज़ेब, बिन्दी, चूड़ियाँ, गजरा, अंगूठी
जिसे देखूं वही गाए, तो क्या वो इश्क़ होगा
मुझे तू एक टक देखे, कहीं खो जाए, पर फिर
अचानक से जो मुस्काए, तो क्या वो इश्क़ होगा
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