कभी कभी
खुद को मिस करने का मन करता है..
और हर व्यक्ति को खुद को मिस करना भी चाहिए....
कब तक भागते रहोगे
कब तक पीछा छुटाते रहोगे
एक न एक दिन तो थक ही जाओगे
एक न एक दिन हार स्वीकार ही करोगे
लेकिन उस दिन से पहले
खुद को ज़िंदा रखो...
सारी दुनिया मे खुद को उपर रखो...
मुश्किलें सबके सामने आती है..
और कभी कभी तो मुश्किलें मुसीबतें बन जाती है...
लेकिन इसमें डरना क्या..
मरना तो है ही एक दिन
तो आज लड़ेंगे...
डटकर लड़ेंगे..
जीभरकर लड़ेंगे...
कोई नही मिलेगा..
तो खुद से लड़ेंगे..
खुदा से लड़ेंगे...
मगर हार मानना न हमें आता है
और न ही हम सीखना चाहते है...
भले ही हमने कभी किसी चिड़िया का भी शिकार न किया हो....
मगर यकीन मानो
हम खुद का शिकार नही होने देंगे
ये कोई फतवा या लफेवाजी नही है,
ये हमारे अंदर का इंसान है....
जो मुस्कुराना चाहता है ....
जो हर परिस्थिति में जीतना चाहता है...
बस यही ज़िन्दगी है...
जो डर डर कर नही
लड़ लड़ कर जी जाती है...
और लड़ाई औरों से नही
खुद से और परिस्थितियों से की जाती है।।