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‘उलूक’ हर दिन अपने आईने में देखता है चेहरे पर लिखा अप्रैल फूल होता है

बकवास
करने का


अपना मजा

और 

अपना

एक 
नशा होता है

किसी की
दो चार लोग
सुन देते हैं

किसी
के लिये
मजमा
लगा होता है

नशा
करके
बकवास
करने वाले को

उसके
हर फायदे
का पता होता है

नशा
करता है
एक शराबी

मगर
पीना पिलाना
उसके लिये
जरूरी होता है

कहीं
कुछ नहीं से
निकाल कर
बातों बातों में
सारा कुछ

यूँ ही
चुटकी
में दे देता है

बातों
के नशे में
रहता है
एक नशेड़ी

ऐसा
होता है
पर ये माजरा

करोड़ों में
एक होता है

बातें
होनी हैं
अप्रैल की

मार्च
के बाद का
एक महीना

हर
साल में
एक होता है

विदेशी
कैलेण्डर
विदेशी सोच
विदेशी बातों को

विदेशों में
सोचना होता है

देशी
बातों में
बातें देश
की होती हैं

एक
दिन में
बात का नशा
नहीं होता है

सबकी बात
सबके लिये बात
होने के लिये

उसके
पास
बातों का
जखीरा होता है

सालों
साल से
जिसके लिये

हर दिन
हर महीना
साल का
एक अप्रैल
होता है

फूल
लेकर हाथ में

बातों में
उसको बाँध कर

वो फिर से
हाजिर होता है

जोकर कहें
जमूरा कहें
मदारी कहें
सपेरा कहें

‘उलूक’
हर दिन
अपने
आईने में
देखता है

चेहरे
पर लिखा
अप्रैल फूल
होता है ।


चित्र साभार: https://furniture.digitalassetmanagement.site


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