विवेक पाठक जी द्वारा भेजा गया २०१५ में यह लेख कितना प्रासंगिक लग रहा है जब मैंने कासगंज की घटना के बारे में जाना …विवेक जी स्वयं Kasganj Uttarpradesh के रहने वाले हैं इनके अन्य लेख भी इस वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया जा चुका है आइये एक नजर में देखते हैं तब इन्होने क्या लिखा था ….
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हमारी बढ़ती महत्वाकांक्षाएं तथा धन की भूख ने इसांन की इसांनियत को सुला दिया है| कोई भी अपनी जरूरतो के अभाव मे जगाना ही नही चाहता, न जाने क्यो एक दुजे को ‘दिया’ दिखाये जा रहे है| ईमानदारी से सभी को डर लगने लगा है जैसे कोई जहरीली नागीन हाथो मे थाम रखी हो| झूठ को पारितोषक के समान ग्रहण कर इसांन अपने व्यक्तित्व की महिमा को घटा रहा है या यू कहे कि वर्तमान मे इसांन अपने आत्मविश्वास को धता दे रहा है|
‘अधेरे की राह मे हर पल कोश रहा है प्रकाश को’| सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनो मे विरोधाभाष है,कोई सकारात्मक प्रक्रिया को सहज स्वीकार नही करना चाहता, वही नकारात्मकता पर बढ़- चढ़ कर अपनी प्रतिक्रिया देता है| फिल्मी जगत के व्यापारी भी अपना माल बेचने के लिए इसी कमजोरी का फायदा उठाते है जो जितनी ज्यादा नकारात्मकता को दिखायेगा बाजार मे मॉग उसकी उतनी ज्यादा तेज होगी |
विचारो के मस्तिष्क मे उथल-पुथल का महाभारत छिड़ा हुआ है, पैरो तले दु:खो का महासागर उफान मार रहा है, ऐसे मे सुखो की अभिलाषा का मथंन होना स्वभाविक है परन्तु अमृत का रसपान तो धैर्यवान ही कर सकता है मन की जेब मे जैट विमान रखने वाला नही| हमे उस पल का धन्यवाद करना चाहिए जिसमे हमे शांति मिली हो तथा उस पल के लिए परमात्मा से प्रार्थना करनी चाहिए जिसमे आप सबसे ज्यादा भयवित रहे हो जो जीवन मे पुन: न घटे|
कोई भी धर्म हिसां को महत्व नही देता ,तो फिर क्यो धर्म के नाम पर हिसां फैला रहे है| मरणोपरातं यह जरूरी नही कि आप जिस धर्म मे है वही धर्म या वही मानव योनी पुन: आपको मिले इसलिए धर्म मानवता के लिए है ना कि मानव धर्म के लिए! अर्थात जब तक आप की सांसे रहे तब तक मानवता के लिए संघर्ष करे|
नेताजी की मचं हर्षिय योजनायें
पिता से बढ़कर कोई मित्र नही हो सकता आैर भाई से बढ़कर शत्रु ! इस बात पर अमल करे क्याकि जब आप परेशान होते थे तो आपका बाप भी कही न कही छुपकर रोता था आैर आज जब अपने दोस्तो मे बैठकर शराब के साथ खुशियॉ मना रहे होते है,तब भी बाप कुढ़- कुढ़कर रो रहा होगा इसकी वजय यह नही की वो तुम्हारी कामयाबी की जलन से रो रहा है बल्कि वो तो तुम्हारी शराब को लेकर चिन्तित है कि उसके सुत का कलेजा शराब से खराब न हो जाये| अब आप ही तय कीजिए की जो तुम्हारे दु:ख मे साथ छोड़ गये वो सुख मे आकर तुम्हारे ही पैसो पर पार्टी मनाने वाले ठीक है,या वो जो तुम्हारे लिए आज भी आँसू बहा रहा है?
अगर अब भी आप इन बातो को नकारते है तो आप को अपने इसांन होने पर बहम है||
गुम हो गये जुगाडु चदं नेताजी
जन चेतना की सेवा मे,
मै
विवेक पाठक
गॉव- फरीदपुर,पोस्ट- कासगंज,जिला- कासगंज
उत्तर प्रदेश)
दोस्तों ,इस ब्लॉग कैटगरी में प्राप्त चयनित ब्लॉग्स का प्रकाशन किया जाता है ,यदि किसी के कॉपीराइट का उलंघन यहाँ त्रुटिवश हो रहा हो तो मेल करें यह ब्लॉग तुरंत हटा लिया जायेगा , ब्लॉग लेखकों से अनुरोध है अपनी मौलिक रचना ही भेजे . प्रकाशित होने के बाद ब्लॉग का उत्तरदायित्व ब्लॉग Sender का होगा
क्रमशः आपसे अनुरोध है “व्यक्तिक विकास ” विषय पर अपने ब्लॉग भेजे
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