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~ कोड 05278 आगे 06121992…

Think out of the box!

Cogito, ergo sum

नाई और कसाई
दो दुकाने आमने सामने,
~
और ~
इतिहास में दर्ज एक शर्मनाक तारीख

राम राम भाई जान, आज बहुत लेट खोली दुकानचाचा सलाम, हाँ आजकल सुबह सुबह कम होता है काम

राम राम वाले भैया हमारे गाँव के एकलौते नाई है, वैसे वो ३ बहनों के भी इकलौते भाई हैं

सलाम चाचा, पेशे से कसाई है, आगे पीछे कोई नहीं,

पूरा गाँव है उनका और वो गाँव के, इसलिए अकेलापन नहीं खलता,

लेकिन भाई साहब, क्या काटते है जनाब, एक एक पीस, इसलिए धन्धा उनका ख़ूब चलता

अच्छे दोस्त मिलते नहीं आजकल,

चल भाई मेरे बाल ही सज़ा दे,

ख़ाली है तो कर ले अब थोड़ा काम,

मेरा क्या है, बकरा कटा पड़ा है,

कोई आएगा तो दुकान खोल दूंगा और पिस तोल दूंगा

आओ बैठो चाचा, नया चल रहा है, स्पाइक बना दूँ,

३ बाल हैं, अच्छे लगेंगे,

कम पड़े तो बोलो, बकरे की पूँछ लगा दूँ,

और किसी को नहीं बताऊँगा, राज़ को राज़ रखूँगा पसीने में दबाकर

कर लो भाईजान, उड़ा लो आप भी खिल्ली, लो रास्ता काट गयी बिल्ली

भाइयों तुम दोनो का हो गया तो मेरा काम भी कर दो,

दाड़ी बनवाने आया हूँ, शाम को मटन खाने का मन भी है,

चाचा जाओ दुकान खोलो और 1 किलो बाँते तोलोमेरा मतलब किलो भर चाँपे तोलो

भगाओ मत हट रहा हूँ भाई, बाल तो सजवा लूँ,

तुम्हारा क्या है घूमते हो और खाते हो,

काम धाम कोई तुम्हें है नहीं,

ना मिली तुम्हे छोकरी, ना नौकरी,

खाओ मटन पर पहले कमीज के बंद कर लो बटन

बटन नहीं हैचेन हैआज मन बड़ा बैचैन है,

चाकरी नहीं करते हम किसी की, पैसा इतना है, क्यूँ करनी,

धन्धा हमसे होगा नहीं, बाँध लेता है,

शादी कर के, शराब की दुकान की सेल बड़ाने का भी मेरा कोई विचार नहीं है,

याद आया घर में अचार नहीं है

अचार भी रखा है दुकान पर, ले लेना,

खुलवा ही दोगे शटर तुम,

बड़े ही बेग़ैरत क़िस्म के इंसान हो के नहीं,

खोलता हूँ और तोलता हूँबातेतुम्हारी

बोलो बड़बोले भाई, मेरी मानो दाड़ी भी कलर करवा लो,

सफ़ेदी की चमकार के चक्कर में कहीं रिन वाले ले ना जाए आपको इशतहार के चक्कर में,

आपके, मुँह पर वैसे फ़्रेंच कट अच्छी लगेगीबना दूँ?

ये क्या फिर से वही फटी क़मीज़, कितनी बार पहनोगे जनाब, अब कंधा देदो इसे भाई साहब

रुको रुको भाईऐसी वैसी कमीज नहीं है,

इस क़मीज़ से प्यार है मुझे,

बाबूजी ने मेरे जन्मदिन वाले दिन, रात को ९ बजे दुकान खुलवा कर ख़रीदी थी मेरे लिये,

आज रेडीओ के मुँह पर ताला क्यूँ लगाया हुआ हैचलाओ इसे या बेच दो

भैया साइकिल की चेन उतर गयी है ज़रा खेंच दो

यह लो नवाब साहब,

बोलो तो पंक्चर भी कर दूँ, लगा दूंगा,

नाइ गिरी कुछ ख़ास ना चल रहीसाइकिले ही बना दूंगा,

जैसे ठाकुर साहब, वैसे साहबजादे

ये लो, चला दिया बाजा, तुम्हें देख लिया था आते हुए, इसीलिये बंद किया था, एक ही राग चले सोचा था,

अब आपके लिए पेश है, भूले बिखरे गीत, इसकी फ़रमाइश की है, नाम गली के, गुमनाम भाई ने,

लग जा गले की फिर ये हसीं रात हो ना हो, शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो ना हो

कहानी ले लो, कहानी ले लो, मुझसे मेरी जवानी ले लो

लो आ गया, पगला यहीं का,

कहने को पागल है, बातें इसकी किसी स्कूल मास्टर से कम नहीं

कैसे दी कहानी?

अभी कहाँ दी, तुमने माँगी नहींकौनसी लोगेआज वाली या कल वाली

कल वाली

कल आ जाना दुकान पे, आज लिखूँगा, रात को पड़ूँगा, सुबह ले लेना

वाह, ठीक है, कल ले लूँगा,

भैया ये पागल है, या बनता है?

ये तो नहीं मालूम, एक बार पूछा तो, बड़बड़ाने लगा,

कुछ दोस्त बनाए थे हमने हम उनसे प्यार किया करके

वो मुस्कुरा के मिला करें और सीने पे वार दे जी भर के…”

सच कहा, फ़्रेंच कट काली दाड़ी पर जमेगीएकदम मस्त लगेगी, बना दो,

रुको यह क्या यह क्या दाम बड़ा दिए, कल तक तो ३० रुपए लिखे थे, आज ३३ कर दिए

हाँ भाई, काम कम है, सोचा दाम बड़ा देता हूँ,

तुम मटन के साथ खाते हो, मैं प्याज़ के साथचला लेता हूँ

वाह, शायरी सूझ रही है

लगता है कल वाला दर्द फिर उठा है, मेरी दाड़ सूज रही है,

चलता हूँ, फिर मिलता हूँ

ये लो १०१० के ३ और ११ के तीन, पूरे ३३

शुक्र है, बातो का गोदाम गया, अब गाने सुनता हूँ और ताने बुनता हूँ

चाचा, किस विचार में खोए हो, अचार डाल दिया या आँखे खोल सोए हो….मुफ़्त में लूँगा और रुपया १ ना दूँगा,

अच्छा राम रामकल परसों आऊँगा करने दुआ सलाम,

आम के आम और गुठलियों के दाम

चाचा चलो आओ खाना खा ले,

आज मैं मटन लाया हूँ,

और तुम तो वही लाए होगे, जली कटी रोटी और अचार,

कितना अचार खाते होघर पर ही बनाते हो,

अचार से याद आयाआज वार क्या है?

आज सोमवार हैकल मंगल,

जय हनुमान !!

मेरा बूंदी प्रशाद ले आना जब जाना, सारा ख़ुद ही मत खाना,

पिछली दफ़ा का इस बार ना चलेगा बहाना

वार पूछा क्योंकि मैं तो तुम्हें बताना भूल ही गया,

रात को बॉम्बे जा रहा हूँछोटी से मिलने

वहाँ से दिल्ली६ जाऊँगा बड़ी से भी मिल आऊँगा,

दिल्ली का मौसम सुना है इस बार दिसम्बर में भी गरम है

कल ट्रेन पकड़नी है

रेज़र्वेशन भी नहीं हुआ,

RAC में जाना पड़ेगा

टी टी तो अपने शर्मा जी हैप्रशाद ले जाऊंगा प्यार बढेगा..

अच्छा विचार है,

और मेरी ओर से तुम छोटी और बड़ी के लिए ले जाओ,

इस बार बहुत अच्छा बना है अचार ले जाओ,

पैक करता हूँ

और मेरी भी दुआए ले जाना,

मेरा फ़ोन नम्बर बदल गया है लिख लोकोड वही – 05278 आगे – 06121992

राज़ी ख़ुशी जाओ, और जल्दी लौट के आओ,

हाल चाल बाँटते रहनाअच्छे दोस्त मिलते नहीं आजकल

मैं रहूँ या ना रहूँ, तुम मुझ में कहीं बाकी रहना, बस इतना है तुमसे कहना

यह फ़रमाइश की है चाचा ने राम भूमि से

चाचा, ये तुम ही हो ना, मुझे पता है तुम्हें ये गाना बहुत पसंद है, ना जाने क्या चला गया कान में सुबह से नाक बंद है

ये लो, बीच वाले जीजाजी का फ़ोन भी आ गया,

हेलो जीजा जी कैसे हो आज कैसे याद किया?

क्या, कल आ रहे हो,

लो और मैं दिल्ली जा रहा हूँ सुबह की गाडी से,

अब तुम्हारा इस्तक़बाल चाचा करेंगे,

ठीक है बोल देता हूँ,

नमाज़ के बाद मस्जिद के सामने ही मिलेंगेरखता हूँ

चाचा कल जीजा जी आ रहे है, कार से, सेवा करने..

अब तुम ही करना उनका स्वागत,

मटन बहुत शौक़ से खाते हैरोटी जलाना मत,

मैं शाम में पहुँच के फ़ोन करूँगानम्बर लिख लिया है मैंने,

आज जल्दी जाऊँगा, खाऊँगा,

सुबह की गाड़ी है,

अभी बनानी ख़ुद की भी दाड़ी है, रात में ही बनाऊँगा,

पहले जाते ही गरम पानी से नहाऊँगा,

सर्दी बड़ी है

वर्दी छोटी पहन के आये हो दरोगा साहबबैठो खाना खाओगे या कुछ और

हाँ तो चाचा और तुम अपना ध्यान रखना,

जुम्मे की नमाज़ में दुआ करनाबूंदी मैं ले आऊंगाजल्दी वापस आऊंगा,

खाने का भी रखना ध्यान,

जली कटी सुनाने वाला नहीं है कोई,

जली कटी रोटी से ही काम चलाते होबड़ी जल्दी जल्दी खाते हो

लो आ गया तुम्हारा चहेता ग्राहक

हाथ धोलो और ९ किलो मटन तोलो,

अभी भी ९ किलो ही लेता है या बड़ा दियाहोटल इसने अच्छा चला दिया,

एक बार ही खाया थालेकिन ज़ुबान पे आज भी स्वाद है

बैठिये दरोगा साहब..बाल कटवाओगे या शेव कर दूँऔर कुछ नहीं तो जेब ही भर दूँ

क्या बोलते रहते होतुमसे पैसे लेंगे, शेव करो हम तुम्हे कुछ नहीं देंगे

चाचाचाचाक्या इरादा है,

अँधेरा होगा थोड़ी देर मेंआज दुकान बढ़ानी है या रात यही बितानी है

चलो चलेफ़ोन कर देना पहुँच करखुदाहाफिज

राम राम चाचाकर दूंगा उतरते ही

हे भगवान् ६ बज गएअर्रेलौंडे रिक्शा निकाल और सीधा प्लेटफार्म में डाल,

भगवन तेरा भला करेले किराया और पकड़ अगली सवारीआ गयी गाड़ी हमारी

सफ़र बहुत लम्बा था, आराम से कट गया फिर भी

बॉम्बे की बात ही कुछ और हैसमंदर भी है, सितारे भी, मिलते यहाँ किनारे भी,

पर घर की बात ही कुछ और है

भैया एक चाय देना, और रेडीओ की आवाज़ बड़ा लेना

यह लो भाई सुन लो

तेरा शहर जो पीछे छूट रहा..कुछ अन्दर अन्दर टूट रहा

भैयाजी यहाँ फ़ोन कहाँ है, STD करनी है

आगे, सीधा जा के उलटा हो जायिएऔर कटिंग चाय के ३ रुपये लायिए

लीजिये १० का है

दिए और खयालो में चल पड़ास्टेशन देख हैरान..इतना बड़ा

चल बेटा, गाड़ी गयी, अगली की तैयारी कर,

और नाश्ता लगा दे, मेरे लिए १ वड़ापाव सजा दे

ये गया सीधा, हुआ उलटा, और झट से पलटा, बाक़ी पैसे लेना जो भूल गया था

सीधा, उलटा, वापस दुकान पेआया और धीरे से चिल्लाया, भाईजीएक फ़ोन मिलाना है, मिला दो, और वो स्टूल इधर खिसका दो

नम्बर बताइए

स्टूल क्या करेंगे, मेरी कुर्सी पे आ जायिए

हँसते हँसते, मेरी हँसी छूट गयीऔर दरवाज़े में अटक घड़ी टूट गयी, देखा तो टाइम ९ बता रही थी,

अब तक तो चाचा नमाज़ पढ़ के, मस्जिद के सामने अड़ के खड़े होंगे,

जीजा भी पहुँच गए होंगे, रुकता हूँ १० मिनट बाद करता हूँ

आज की ताज़ा ख़बर, आज की ताज़ा ख़बर

क्या ताज़ा होगा, सब वही होगा सोच के मुस्कुरा दिया और नम्बर बता दिया

कोड 05278 आगे 06121992….घंटी बज रही है,

उठा नहीं रहे

सेठजी सुनिये आप पकड़िएबाजू वाली दुकान का महूरत हैहवन हो रहा हैमैं अटेंड कर के आता हूँ,

अंदर आईये और आराम से मिलाइए, मैं जा के आता हूँ, आप बैठ जायिए

चाचा तो एक ही घंटी में ही उठा लेते है फ़ोन,

कभी कभी तो बजता है,

हमारे सिवा उन्हें करता है कौन

नम्बर चेक कर लेता हूँ..कोड 05278 आगे 06121992…सही है, मिलाया और घंटी ही जा रही है

फिर जवाब नहीं आया..और जैसे ही अखबार की आज की ताज़ा ख़बर पर पड़ी मेरी नज़र

उधर हवन हुआ सम्पन

ॐ भूर्भुवः स्वः

और इधर मैं



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