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आज सुहाग के रात, चंदा तू ही उगिह

प्रणाम,

गोड़ लागतानी,

पति की लंबी उम्र और अच्छे वर की चाहत लिए भादो माह की शुक्‍ल पक्ष तृतीया को माता गौरी और भगवान शंकर जी को प्रसन्‍न करने हेतु सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्‍याएं बेहद कठिन माने जाने वाले निर्जला हरतालिका तीज का व्रत करती हैं। पुराणों और लोक कथाओं में भी इस व्रत की महिमा गुणगान करते हुए वर्णित हैं कि व्रत के प्रताप से अखंड सौभाग्‍य का वरदान मिलता है।

सुंदर नए कपड़े व सोलह श्रृंगार कर हरतालिका तीज के दिन महिलाएं गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बना पूजन करते हुए हरतालिका व्रत की कथा सुनती हैं।

हमारी होने वाली एकलौती फलानी के संगे-संग सभी वर्ती माई – बहिन और भौजाई लोगन के टिमटिमाते तारा भरल  आकाश उतना शुभकामना बा..

सामाजिक स्वीकार्यता प्राप्त इस प्रेमपूर्ण संबंध के सौंदर्यबोध में रमतें हुए चन्दन तिवारी जी के स्वर में भोजपुरी लोकगीत आपसबो संग साझा कर रहा हूँ… जिनको मैंने अबतक अनेको बार सुना हैं

जय हों



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