Hi पवन जी,
पिछले दिनों तुम्हारे अनेकों पत्र मुझे मिले, जिन्हें पढ़कर चेहरे पर मुस्कान व दिल का AC इस गर्मी में 22℃ पर ऑन हो गया। कई बार सोचती हूँ कि फ़ेसबुक और व्हाट्सएप पर दो लाइन के I Love You से 143 तक पहुंच चुके प्रेम के शॉर्टकट्स युग में ऐसी लंबी-चौड़ी प्रेम पत्रिका लिखने वाले में जरूर कुछ ख़ास बात होगी।
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पता नहीं क्यों आजकल दिन-रात सुबह से लेकर शाम तक तुझे ही सोच-सोच कर मुस्कुराती रहती हूं। सच कहूँ तो मुझे जिंदगी में जीने की कई वज़हे एक साथ मिल गयी हैं। अच्छा, मेरे लिए लिखें गए पत्रों को इस तरह ऑनलाइन क्यों प्रकाशित कर देते हो ? शर्म आती हैं मुझे और थोड़ी डर भी, कहीं किसी चुड़ैल की नजर न लग जाएं… हमारे रिश्ते और तुम्हारी कलम पर।
कल दोपहर को कॉलेज से आकर तनिक थके होने के कारण सुस्ताने हेतु बिस्तर पर लेटते ही आंखे बंद हो गई। अब आंखे लगी ही थीं कि सपनों के संसार में नाना प्रकार के जाने-अनजाने दृश्य जीवित होने लगे। ये क्या देख रही हूं मैं, आज तो मेरी जान का जन्मदिन हैं। हमदोनों तुम्हारा जन्मदिन मनाने के लिए हमारे जमशेदपुर के जुबली पार्क में जाने का पूर्व-प्लान बनाये हुए हैं। घर से निकलने के ऐन वक्त पता चलता हैं कि तुम्हारी बाइक भैया लेकर कहीं चले गए हैं। अब मेला सोना बाबू कैसे आएगा, ये सोचकर जन्मदिन सेलेब्रेट करने के प्लान पर काले बादल मंडराने के आभास से ही, मैं विचलित सी हो गई। तनिक गुस्से में आत्ममंथन के पश्चात मैंने तय किया कि कोई नहीं, आज तो बच्चू तुम्हें, तुम्हारे घर से उठा लिया जाएगा। फिर मेरी इस गुंडागर्दी से चाहें जो बवाल हो, निपट लिया जायेगा मिलकर। इतना विमर्श कर मैं अब गुनगुनाने लगी…
अब चाहे माँ रूठे या बाबा यारा, मैने तो हा कर ली,
अब चाहे सर फूटे या माथा, मुझे तेरी बाह पकड़नी।
अब चाहे काँटे मिले या कालिया, यारा मैने तो हा कर ली,
अब चाहे लग जाए हथकड़ियाँ, मैने तेरी बाह पकड़ली।
अब चाहे घर छुटे या सखियाँ, यारा मैने तो हा कर ली,
अब चाहे रब रूठे या दुनिया, मैने तेरी बाह पकड़नी।
अभी प्लान तैयार कर ही रही थीं कि इतने में मेरी mi फोन उछल कूद(Vibrations) करते हुए गुनगुनाने लगी। क्या…मेरी उपस्थित के संवाद मात्र से तुम्हारा ना नुकुर के प्रतिउत्तर में मेरी इन बातों से तुम्हारे मुँह से उच्चारित हुआ ये विस्मयबोधक क्या आज भी प्रेम के प्रति हमारे समाज-परिवार में घुली डर व दुर्भाग्यपूर्ण दृष्टिकोण को दर्ज कराया था। विवाह के पूर्व पुत्रवधू हमारे घर की चौखट नहीं लाँघती का तर्क देकर तुमनें तीन बजे मानगो चौराहे पर मिलने का वादा किया।
भारतीय राजनेताओं की तरह तुम आज भी समय से नहीं आये थे और मैं तुम्हारे दिल रूपी देश की निरीह जनता अपनी स्कूटी को साइड में खड़ी कर अपने सिर से हेलमेट उतार कर इधर-उधर बड़ी आतुरता संग तुम्हें खोज रही थीं। 10 मिनट पश्चात ही मेरी mi फोन उछल कूद(Vibrations) करते हुए फिर वहीं धुन गुनगुनाने लगी।
“हैल्लो, कहाँ राह गए…मेरे सलमान खान ? आ रहे हो कि तुम्हारे मुहल्ले में आक्रमण करू ?” मैंने तनिक झल्लाहट संग कहा।
“मैं तो पहुंच ही गया हूँ, तुम कहाँ रह गई डार्लिंग ?” उधर से आवाज आयीं।
“पिछले 20 मिनट से तुम्हारा इंतजार कर रहीं हूँ, जनाब आपका..!” आदतानुसार मैंने 5-7 मिनट एक्सट्रा बढ़ा कर कहा।
“सॉरी बेबी…. पर हो कहाँ, दिख नहीं रहीं हो..?”
“गुप्ता मिष्टान्न भंडार के सामने बरगद पेड़ के निचे….” इतना कह जैसे ही पीछे मुड़ी, वो नयी सी नीली कटी-फटी जीन्स और सफ़ेद शर्ट वाला बंदा खड़ा-खड़ा मुस्कुरा रहा था। एक क्षण भी बर्बाद होने से पूर्व मैंने तुम्हें गले लगाकर बाहों में भर लिया। साढ़े तीन बजे वाली दोपहिया में पी-पा-पप्पप्पप्पप्प करते वाहनों से भरें सड़क के किनारे एक प्रेमी युगल के एक दूजे में समायोजित हुए अनर्लिंगन से लजा कर सूर्य भी बादलों की आड़ में चले गए थे अबतक। तुम्हारे शरीर से आ रही इत्र की महक, मुझे पलपल मदहोश कर तेरे नशे में चूर सी कर रही थीं। मेरे और तुम्हारे सिवाय सारी दुनिया मेरे दिल के कैमरे और आँखों के लेंस में Blurred background सी तब्दील हो चुकी थी।
मानव जाति, धरती पर एक बड़ी कमीनी प्रजाति हैं। यदि पर्यावरण मेहरबान होकर अत्यधिक खुशी प्रदान करने लगे तो भी बदहजमी होना लाजमी हैं अन्यथा फिर भुखमरी जिंदाबाद । अभी इतना सा ही तो सपना देखा था मैंने। दिल की फुलझड़ियों में प्रेम के दियासलाई सुलगाने से पहली बार सुरसुरी सी हुई थी और ये आँखे खुल गई । कसम से बहुत ख़ुशी भी हुईं, और नीं आंखे जल्दी खुलने का पछतावा भी।
अरे अभी याद आया, इसी 2nd मई को ही हैं न… तुम्हारा हैप्पी वाला बर्थडे। आने दो…आने दो, पूरी सपनों वाली स्क्रिप्ट के पहले एपिसोड में तनिक और चटकारे संग परफॉर्म कर सारी सुरसुरी ठंड़ाते हुए गुनगुनायेंगे….
पार्टी शार्टी करेंगे, करेंगे उस दिन तेरे नाल,
डायनामाइट तेरी-मेरी जोड़ी सोनिये,
घोड़ी चढ़के नी आया मैं,
गड्डी सोनी-सोनी लाया मैं,
लोंग ड्राइव पे चल चल चल,
लोंग ड्राइव पे चल चल चल,
लोंग ड्राइव पे चल मेरे नाल सोनिये,
नी मेरे नाल सोनिये…!
अब तुम फिर कहोगे कि कितना बकबक करती हूं मैं। डोंट वरी, आपसे ही सीखा हैं गुरुदेव। चलिये, फिर मई के दूसरी तारीख का इंतजार हैं, तब तक अच्छे से पक जाना मेरे अल्फांसो।
With lots of love and hugs…
और हां, हैप्पी बर्थडे इन एडवांस व डेट पे तारीख देने वाले मेरे जनाब, इस पत्र के माध्यम से 2nd मई के लिए प्री-बुकिंग का न्योता भेज रही हूँ।
सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी कॉपीराइट रिजर्व्ड फ़ॉर अगले 7 जन्मों तक…
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©पवन Belala Says 2018