Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

चल जग में भर दें प्यार सनम…(अतिथि कविता)

चल जग में भर दें प्यार सनम…(अतिथि कविता)

(2). अतिथि देवों भव: आलेख !

रचना : श्री मधुसुदन सिंह

बस हम हों… तुम हो… साथ सनम,
फिर जीवन में किस बात का हो गम,
सरिता बन तूँ… मैं बरसात बनूँ,
बांधों को तोड़ के पार चलूँ,
अवरोध नहीं जिस दुनियाँ में,
उस जलधि का प्रवाह बनूँ,
आ लहर बनों, मैं धार सनम,
चल दुनियाँ के उस पार सनम,
जहां हम-तुम गर हो साथ सनम,
फिर जीवन में किस बात का गम,
फिर जीवन में किस बात का गम।
दिल के कण-कण में नाम तेरा,
है होंठ मेरे.. मुश्कान तेरा,
बन हवा बसंती आजा ना,
रस्मों को आज भुला जाना,
देखो मौसम भी बलखाये,
नवकोपल खुशबु बिखराये,
ऋतुराज बनूँ, तूँ मेरे पवन,
खुशबु से भर दूँ राहे-चमन,
मरुस्थल सी तुम बिन प्यारे,
हम भी सब कुछ तुम पर वारे,
जग प्यासा हम जलधार सनम,
चल जग में भर दें प्यार सनम,
जहां बदरी और बयार सनम,
जीवन में फिर किस बात का गम,
जीवन में फिर किस बात का गम।


जनसामान्य को अपनी विभिन्न भावपूर्ण कविताओं से नित्यप्रतिदिन ओतप्रोत करने वाले कवि श्री मधुसुदन सिंह जी हिन्दी ब्लॉग पाठकों की दुनिया में एक लोकप्रिय नाम हैं साधारण शब्दों की मोतियों से इतिहास, अध्यात्म, प्रेम, वात्सल्य जैसे जटिल विषयों पर कविता रुपी माला बनाकर हिन्दी साहित्य को अलंकृत करने में उनके अमूल्य योगदान की हम भूरी-भूरी प्रशंसा करते हैं

मधुसुदन जी की रचना, हमारे इस मंच पर प्रकाशित कर हम गौरवान्वित महसुस कर रहे हैं। उनकी अन्य रचनाओं को पढ़ने हेतु उनके blog (https://madhureo.wordpress.com/) पर पधारे


If you wish to publish your original works, kindly e-mail us.

हमारा पता हैं(Our Address is) [email protected]




This post first appeared on Pawan Belala Says, please read the originial post: here

Share the post

चल जग में भर दें प्यार सनम…(अतिथि कविता)

×

Subscribe to Pawan Belala Says

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×