लौट आया मैं बिना कुछ कहे
शब्द पड़ने लगे छोटे
दर्द बढ़ने लगा
कहे भी थे जो कभी सब हो गए अनकहे
रास्ता बढ़ता रहा
घर दूर होता रहा
साथ चल कर भी कही हम अजनबी से रहे
फैलता मैं गया जितना
तुम सिमटते गए उतना
दर्द कहीं ज़्यादा है, तुमने सहे
लौट आया मई बिना कुछ कहे
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सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
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