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उम्मीद अभी बाकी है

उम्म्मीद अभी बाकी है
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तपती हुई लंबी दोपहरों में
कुदालें खोदती हैं हथौड़ा दनदनाता है
गर्म लू के थपेड़ों को
पसीना अभी भी शीतल बनाता है

पेड़ों के पत्ते सरसराते हैं
उनके तले अभी छाया मचलती है
घर लौटती पगडंडियों पर
अभी भी हलचल फुदकती है

चूल्हों के धुंए की रंगत में
अभी भी शाम ढलती है
मचलते हैं अभी गीत होठों पर
कानों में शहनाई सी घुलती है

परिन्दों का कारवां अभी
अपने बसेरों तक पहुंचता है
आंगन में रातरानी का पौधा
अभी भी ख़ूब महकता है

दूर किसी बस्ती में
एक दिये की लौ थिरकती है
एक मायूसी भरी आंख में
जुगनु सी चमक चिलकती है

लंबी रात के बाद अभी भी
क्षितिज पर लालिमा खिलती है
धरती अभी भी अलसाई सी
आसमां के आगोश में करवट बदलती है

मां के आंचल से निकलकर
एक बच्चा खिलखिलाता है
अपने पिता की हंसी को पकड़ने
उसके पीछे दौड़ता है
एक कुत्ता भौंकता है
एक तितली पंख टटोलती है
एक मुस्कुराहट लब खोलती है

अभी भी आवाज़ लरजती है
अभी भी दिल घड़कता है
आंखों की कोर पर
अभी भी एक आंसू ठहरता है

माना चौतरफ़
नाउम्मीदियां ही हावी हैं
पर फिर भी मेरे यार
उम्म्मीद अभी बाकी है

चीखों में लाचारगी नहीं
जूझती तड़प अभी बाकी है
मुद्राओं में समर्पण नहीं
लड़ पाने की जुंबिश अभी बाकी है

उम्म्मीद अभी बाकी है

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रवि कुमार

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