यह बात हवाओं को बताए रखना रोशनी होगी चिरागों को जलाए रखना लहू देकर जिसकी हिफाजत की हमने ऐसे तिरंगे को सदा दिल में बसाए रखना ।
हर वक्त मेरी आंखों में धरती का स्वपन हो जब मैं मरू तो तिरंगा मेरा कफन हो ।
जहां हम और तुम हिंदू मुसलमान के फर्क में लड़ रहे कुछ लोग हम दोनों के खातिर सरहद की बर्फ में मर रहे हैं ।
कभी ठंड में ठिठुर कर देख लेना कभी तपती धूप में जलकर देख लेना कैसी होती है हिफाजत मुल्क की सरहद पर चल कर देख लेना ।
नींद उड़ गयी यह सोचकर हमने क्या किया देश के लिए आज फिर सरहद पर बहा है खून मेरी नींद के लिए ।
हर वक्त मेरी आंखों में धरती का स्वपन हो जब मैं मरू तो तिरंगा मेरा कफन हो ।
और कोई ख्वाहिश नहीं जिंदगी में जब कभी जन्मु तब भारत मेरा वतन हो ।
हमारी ओर से आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं