इश्क़ है तुझको, तेरा फिर मुस्कुराना लाजमी है ।
बे-इन्तहां हक़, तेरा मुझपर जताना लाजमी है ।।
है मुझे दीदार जबसे, लफ़्ज़ों में कुछ गुफ्तगू है ।
हर दफा इन लफ़्ज़ों में नाम, तेरा आना लाजमी है ।।
नेक दिल थी वो, समझती थी मुझे मैं पाक हूँ ।
फिर मेरे नापाक दिल का भी सुधरना लाजमी है ।।
कह रहा था, थाह ली है सागरों की , डुबकियाँ से ।
इश्क़ के दरिया में, तेरा डूब जाना लाजमी है ।।
—– कवि आनंद ⇒Read Fact Shayari
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