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पंचतंत्र की कहानी - बुद्धिमान मधुमक्खी

पंचतंत्र की कहानी - बुद्धिमान मधुमक्खी

किसी जंगल में मधुमक्खियों का एक झुंड रहता था। वह सभी जंगल के सबसे खुशबूदार और मीठे फूलों पर बैठा करती थी और उनका रस पीती थी। उन्ही में एक मिंटी नाम की मधुमक्खी भी थी। मिंटी बहुत ही नटखट और शैतान थी - लेकिन वह बाकि सब मधुमक्खियों से ज्यादा समझदार और बुद्धिमान थी। उसे अलग - अलग तरह के फूलों की काफी पहचान थी।

मिंटी हमेशा अपनी ही धुन में मग्न रहती थी। वो अपने मन मुताबिक काम या ककिरती थी। मधुमक्खियों का झुंड हमेशा जहाँ भी जाता था, साथ में ही जाता था लेकिन मिंटी हमेशा अपनी शैतानियों से उन सब को बहुत परेशान करती रहती थी झुंड से अलग जाकर ही रस पिया करती थी। इसी वजह से रानी मधुमक्खी मिंटी को हमेशा डाँटती थी। उस पर गुस्सा करती रहती थी, लेकिन मिंटी को इन सभी चीज़ो से कोई फ़र्क नहीं पड़ता था। वह मस्त रहती थी। अपने दोस्त हाथी के साथ खेलती रहती थी।





ऐसे ही एक दिन जब वह मधुमक्खियाँ झुंड बनाकर रस पीने की लिए अपने छत्तों से बाहर निकली तो उन्होंने एक अजीब सी चीज़ देखी। उन्होंने देखा कि जिन फूलों का रस पीने के लिए वह सभी अपने छत्तों से इतनी दूर जाती थी आज अचानक वह फूल खुद उनके छत्तों के नीचे आ गए थे। यह देखकर सभी मधुमक्खियाँ बहुत खुश हुई और उन मे से एक मधुमक्खी जल्दी से छत्ते में गयी और अपनी रानी मधुमक्खी को बाहर बुला लायी। बाहर आने के बाद रानी मधुमक्खी ने जैसे ही यह सब देखा, वह हैरान रह गयी। तभी एक मधुमक्खी बोली, “रानी जी, यह तो बहुत अच्छा हो गया। अब हमें फूलों का रस पीने के लिए अपने छत्ते से ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ेगा।

इस पर रानी मधुमक्खी ने कहा, “हाँ, यह तो अच्छी बात है। लेकिन एक ही रात में इतने सारे फूल यहाँ कैसे आ गए?” फिर एक साथी मधुमक्खी ने कहा, “रानी जी, इससे हमें क्या फ़र्क पड़ता है? हमें तो बस इन फूलों का रस पीना होता हैं और हमारे लिए तो यह अच्छी बात ही है कि अब हम जब मन चाहें, रस पी सकते हैं।” साथी मधुमक्खी की यह बात सुनकर, रानी मधुमक्खी भी बिना कुछ सोचे समझे उन फूलों का रस पीने के लिए राज़ी हो गयी और वह सब झुंड बनाकर उन फूलों की तरफ बढ़ने लगी तभी मिंटी छत्ते से निकल कर आयी और उन सब को जाते हुए देखकर उन्हें रोकने लगी और बोली, “दोस्तों, तुम सब मेरे बिना ही रस पीने जा रहे हो?! यह तो बहुत गलत बात है।”

मिंटी की यह बात सुनकर रानी मधुमक्खी बोली, “मिंटी, तुम वैसे भी हमेशा हम सब से दूर रहकर ही रस पीती हो, तो तुम्हें अपने साथ ले जाने का क्या फायदा?” इसपर मिंटी ने बोला, “लेकिन मैं तो बस आप सब के साथ मस्ती करती हूँ। वैसे आज आप सब रस पीने के लिए किस जगह जा रहे हैं ? मुझे भी आप सब के साथ चलना है।”

रानी मधुमक्खी ने कहा, “मिंटी, नीचे देखो। आज हम सब इन फूलों का रस पीने जा रहे हैं जो हमारे ही घर के नीचे नए नए उगे हैं।” रानी मधुमक्खी की यह बात सुनकर मिंटी ने नीचे की ओर देखा तो उसे वहाँ ढेर सारे रंग - बिरंगे फूल नज़र आये। थोड़ी देर तक उन फूलों को निहारते रहने के बाद मिंटी को उन फूलों में कुछ गड़बड़ सी लगी, जिसे देखकर वह रानी मधुमक्खी से बोली, “रानी जी, यह फूल सुरक्षित नहीं है। आप सब रस पीने इन फूलों पर मत जाइएगा।”

मिंटी की बात सुनकर सभी मधुमक्खियों को यही लगा कि मिंटी मज़ाक कर रही है। तभी उनमें से एक मधुमक्खी बोली, “हमें पता है तुम यह सब इसीलिए बोल रही हो ताकि हम सब यहाँ से चले जाये और तुम यहाँ अकेले इन फूलों का रस पी सको।” साथी मधुमक्खी की बात सुनकर मिंटी को गुस्सा आ गया और वह वहाँ से दूसरी जगह रस पीने के लिए चली गयी। बाकी मधुमक्खियाँ इसे भी मिंटी की कोई मस्ती समझकर उसकी बात को नज़रअंदाज़ करके फूलों की तरफ बढ़ने लगी।

वहाँ मिंटी अकेले, सब से अलग आराम से रस पी रही थी, लेकिन साथ ही उसे अपनी दोस्त मधुमक्खियों की चिंता भी सता रही थी। वह सोचने लगी, “उनमें से किसी ने भी मेरी बात नहीं मानी और उन फूलों की तरफ चली गयी, लेकिन अगर वह सब ज्यादा देर तक उन फूलों पर रस के लालच में बैठी रहेगी तो अपनी जान से हाथ धो बैठेंगे, अब यह बात मैं उन लोगो को कैसे समझाऊँ की वह फूल उनके लिये सुरक्षित नहीं हैं।”

यही सोचते हुए मिंटी वापस अपने छत्ते पर आ गयी। वहाँ का नज़ारा देखकर वो एकदम हैरान हो गयी। उसने देखा कि रानी मधुमक्खी और बाकि मधुमक्खियाँ उन फूलों से चिपकी हुई थी। वो सब खुद को वहाँ से आज़ाद करने के लिए छटपटा रही थी। यह देखकर मिंटी जल्दी से उनके पास गयी और बोली, “मैंने तुम सब से कहा था कि यह फूल सुरक्षित नहीं हैं। लेकिन तुम में से किसी ने भी मेरी बात नहीं मानी और इन फूलों का रस पीने के लिए आ गयी।” मिंटी की बात सुन कर रानी मधुमक्खी बोली, “मिंटी, तुम्हें कैसे पता चला की यह फूल सही नहीं हैं?” इस पर मिंटी ने जवाब दिया, “रानी जी, आप सब हर रोज़ बस एक ही जगह रस पीने जाते हैं और वहीँ से रस पीकर वापस अपने छत्ते में आ जाते है, लेकिन मैं हर रोज़ अलग - अलग जगहों पर घूमती हूँ और नयी - नयी चीज़े देखती व सीखती हूँ, जिससे मुझे सभी चीज़ो का ज्ञान हैं।” रानी जी, मुझे हर किस्म के फूलों की अच्छी पहचान भी हैं। जिस से इन फूलों को देखते ही मैं समझ गयी थी कि यह नकली फूल हैं जिनके ऊपर हमें फँसाने के लिए मीठा रस डाला गया है ताकि हम लालच में आकर इन फूलों पर बैठे और हमारे पैर और पंख इन पर चिपक जाये।”


मिंटी की यह बात सुन कर सभी मधुमक्खियां बहुत परेशान हो गयी और सोचने लगी कि इससे बाहर कैसे निकलेंगे? मधुमक्खियों को इतना परेशान देखकर रानी मधुमक्खी बोली, “अब हम क्या कर सकते हैं? मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है। मिंटी, क्या तुम हमारी कोई मदद कर सकती हो?” मिंटी थोड़ी देर सोचने के बाद बोली, “हाँ रानी जी, मेरे पास इस से बाहर निकलने की एक तरकीब है। आप सब इस मुसीबत से बाहर निकल जायेंगे और किसी को भी अपनी जान नहीं गँवानी पड़ेगी।”

मिंटी की यह बात सुन कर सभी मधुमक्खियां खुश हो गयी। उनमें से एक मधुमक्खी ने बोली, “मिंटी, क्या तरकीब है तुम्हारे पास हमें यहाँ से आज़ाद करवाने की? जल्दी बताओ।” मिंटी बोली, “यह मीठा रस इंसान अपने खाने में भी मिलाते हैं और एक बार मैंने एक इंसान को इस मीठे रस से चिपके हुए हाथ पानी से धोते हुए देखा था। तो अगर तुम सब के ऊपर पानी गिरे तो तुम इस रस की चिपचिपाहट से आज़ाद हो जाओगे।”

मिंटी की यह बात सुनकर रानी मधुमक्खी बोली, “लेकिन, मिंटी यहाँ हम सब के ऊपर पानी कैसे गिरेगा? यह तो बारिश का मौसम भी नहीं है।” रानी मधुमक्खी की बात सुनकर मिंटी सोचने लगी कि अब वह क्या करें जिससे सभी मधुमक्खियां उन फूलों की चिपचिपाहट से आज़ाद हो जाएँ और किसी को कोई नुक्सान भी ना पहुंचे! तभी मिंटी को याद आया कि उसका दोस्त हाथी उनकी मदद कर सकता है। वह जल्दी से अपने दोस्त हाथी के पास उससे मदद मांगने गयी। मिंटी की बात सुनने के बाद हाथी उसके साथ आ गया और अपनी सूंड में पानी भरके उन सभी मधुमक्खियों के ऊपर डालने लगा जिसके बाद वह सभी मधुमक्खियां धीरे-धीरे उन फूलों की चिपचिपाहट से आज़ाद हो गयी। आज़ाद होने के बाद सभी मधुमक्खियां ने हाथी और मिंटी का धन्यवाद किया और अपने छत्ते में वापस चली गयी।

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