मित्रों ,
पुराने मित्र-मंडली पोस्टों को मैंने मित्र-मंडली पेज पर सहेज दिया है और अब से प्रकाशित मित्र-मंडली का पोस्ट 7 दिन के बाद केवल मित्र-मंडली पेज पर ही दिखेगा, जिसका लिंक नीचे दिया जा रहा है : https://rakeshkirachanay.blogspot.com/p/blog-page_25.html मित्र-मंडली के प्रकाशन का उद्देश्य मेरे मित्रों की रचना को ज्यादा से ज्यादा पाठकों तक पहुँचाना है। आप सभी पाठकगण से निवेदन है कि दिए गए लिंक के पोस्ट को पढ़ कर, टिप्पणी के माध्यम से अपने विचार जरूर लिखें। विश्वास करें ! आपके द्वारा दिए गए विचार लेखकों के लिए अनमोल होगा।
प्रार्थी
राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
मित्र मंडली -96
इस अंक के पाँच रचनाकार
कही अनकही बातें......
अनीता सैनी जी
"नेताओं द्वारा लोक-लुभावन कार्यक्रमों में जनता के पैसे का दुरूपयोग के प्रति सचेत करती सुंदर रचना ।"तरसता बचपन
अनुराधा चौहान जी
"इस देश की त्रासदी है कि यहाँ की एक चौथाई जनसँख्या "सरकारी गरीबी रेखा" से नीचे जीवन यापन कर रहीं हैं। इस समस्या का समाधान जनसँख्या नियंत्रण में निहित है। बाल दिवस के पूर्व-संध्या पर मार्मिक प्रस्तुति।" माहिया
पम्मी सिंह जी "माहिया एक प्रकार का प्रसिद्ध पंजाबी गेयपद दो तीन चरणों का होता है और जिसमें मुख्यतः करुण और श्रृंगार रस की प्रधानता होती है और बिरह दशा का मार्मिक वर्णन होता है।इस विधा में प्रेमी-प्रेमिका की नोंक-झोंक भी चलती है। इसके पहली और तीसरी पंक्ति में बारह मात्राएँ एवं दूसरी पंक्ति में दस मात्राएँ होती हैं। मात्रिक दोष छोड़ दे तो बहुत ख़ूबसूरत बिरह माहिया छंद है आप भी आनंद लें।" एक और वनवास
सुधा सिंह जी
"समसामयिक एवं घर-घर की समस्या को पौराणिक कथा के माध्यम से समझाती सुंदर रचना। "
#खेल कठपुतलियों का#
"इस देश की त्रासदी है कि यहाँ की एक चौथाई जनसँख्या "सरकारी गरीबी रेखा" से नीचे जीवन यापन कर रहीं हैं। इस समस्या का समाधान जनसँख्या नियंत्रण में निहित है। बाल दिवस के पूर्व-संध्या पर मार्मिक प्रस्तुति।"
माहिया
पम्मी सिंह जी
"माहिया एक प्रकार का प्रसिद्ध पंजाबी गेयपद दो तीन चरणों का होता है और जिसमें मुख्यतः करुण और श्रृंगार रस की प्रधानता होती है और बिरह दशा का मार्मिक वर्णन होता है।इस विधा में प्रेमी-प्रेमिका की नोंक-झोंक भी चलती है। इसके पहली और तीसरी पंक्ति में बारह मात्राएँ एवं दूसरी पंक्ति में दस मात्राएँ होती हैं। मात्रिक दोष छोड़ दे तो बहुत ख़ूबसूरत बिरह माहिया छंद है आप भी आनंद लें।"
एक और वनवास
सुधा सिंह जी
"समसामयिक एवं घर-घर की समस्या को पौराणिक कथा के माध्यम से समझाती सुंदर रचना। "
#खेल कठपुतलियों का#
राजीव सिंह जी
आशा है कि मेरा प्रयास आपको अच्छा लगेगा । आपका सुझाव अपेक्षित है। अगला अंक 26-11-2018 को प्रकाशित होगा। धन्यवाद ! अंत में ....
मेरी प्रस्तुति :
मेरी प्रस्तुति :