Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 9)


(भाग – 9)
 श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -2

आपने अभी तक “आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व”, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3)  हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश) , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4)  लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5)  यमनोत्री धाम की यात्राआओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा" एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –8) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -1" में पढ़ा कि कैसे ब्लॉग एवं अन्य माध्यम से जानकारी जुटा कर मैंने यात्रा से संबंधित एक बारह दिवसीय कार्यक्रम की रूप-रेखा बनाई. जब विश्वसनीय वेब-साईट से पता चला कि सड़क एवं मौसम यात्रा के लिए अनुकूल है तब जाकर हमलोग ने अपनी यात्रा प्रारंभ की. “हर की पौड़ी”, ऋषिकेश, यमनोत्री, बड़कोट, उत्तरकाशी, गंगोत्री यात्रा एवं सिद्ध गुरु बाबा चौरंगीनाथ के मंदिर दर्शन की यादों को दिल में सहेज कर अपने अगले पड़ाव हेलिकॉप्टर द्वारा ज्योर्तिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम दर्शन के लिए देवप्रयाग से 13 किमी पहले फाटा के एक होटल में रात्रि विश्राम के लिए रुके.
अब आगे .... 
फाटा कस्बा शांत एवं प्रकृति के गोद में बसा है. यहाँ, आप कहीं भी खड़े हो कर हिमशिखर का दर्शन कर सकते हैं. चिड़ियों की चहचहाहट के साथ जब सूर्य की पहली किरण ने मेरे कमरे की खिड़की पर दस्तक दी तो तन-मन में स्फूर्ति का संचार हुआ. कंबल से निकल कर एवं शाल ओढ़ मैंने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने हिमालय की चोटी नज़र आ रही थी, गौरैया और मैना की झुंड भोजन की तलाश कर चहचहा रही थी. क़स्बा अभी पुरी तरह जगा नहीं था अभी अंगराई ही ले रहा था. प्रकृति की इस अनुपम दृश्य को देख कर मेरा भी मन भी इन नजारों में गुम होना चाहता था इसलिए मैं अपनी पत्नी के साथ नीचे उतर कर सड़क पर टहलने लगे. कल हमलोगों का शादी की सालगिरह थी और कल सुबह बाबा केदारनाथ जी की रुद्रा-अभिषेक करना है ऐसा सोच कर हमलोगों को अद्भुत शांति महसूस हो रहा था. ऐसा लग रहा था मानो श्री केदार जी की अनुपम कृपा वृष्टि हो रही हो. 

खैर! कुछ देर टहलने के बाद हमलोग अपने होटल पहुँचे तो अन्य सभी सदस्य उठ चुके थे. पूर्वनियोजित कार्यक्रम के अनुसार हमलोगों को पहले हैलीकॉप्टर टिकट का इंतज़ाम करना था. इसलिए मैं और मेरा भाई सुनील, दोनों हैलीकॉप्टर के टिकट पता करने के लिए  निकलने वाले ही थे कि तो मैंने महसूस किया कि अन्य सभी सदस्यों की आशा भरी नज़रें मेरी तरफ देख रहीं हैं. 

तब सुनील ने ठिठकते हुए कहा “भाई साहब! हम सभी सोच रहे थे कि अगर हमलोग आने-जाने के लिए हेलिकॉप्टर कर लें तो बीस तारीख की शाम को हमलोग बद्रीनाथ धाम का भी दर्शन कर सकते हैं.”


मुझे भी इस प्रस्ताव से कोई ऐतराज़ नहीं था तो सबसे पहले हमलोग पिनाकल एयर प्राइवेट लिमिटेड के बुकिंग ऑफिस करीब सुबह सात बजे पहुँचे. वहाँ पहुँचने पर पता चला कि फाटा से श्री केदारनाथ धाम हैलीपैड की दूरी तय करने में करीब दस मिनट लगता है और आने-जाने का किराया 6500 रु. प्रति व्यक्ति है. हम सभी आठ सदस्यों के लिए टिकट उपलब्ध था अतः 52000 रु. का  आठ टिकट ले लिए और पिनाकल के कर्मचारी ने 10 बजे रिपोर्ट करने को बोला. हमलोगों ने होटल के पास के दुकानों से सलाद के लिए सब्जी, ब्रेड और बटर ख़रीदा और उसी का नास्ता कर कार से पिनाकल हैलीपैड सुबह दस बजे पहुँचे और वहीँ गाड़ी पार्क कर ऑफिस में रिपोर्ट करने पहुँचे तो वहाँ के लॉबी में पैर रखने तक की जगह नहीं थी. साठ-सत्तर यात्री पहले से बैठे थे. मैंने किसी तरह ऑफिस कर्मचारी से बात की. वह अपनी औपचारिकता पुरी कर एक घंटा इंतजार करने को कहा. हमलोगों को अजीब लगा कि जब 11 बजे जाना था तो 10 बजे रिपोर्टिंग करने के लिए क्यूँ कहा. वहाँ के गतिविधियों को अवलोकन एवं जानकारी लेने पर पता चला कि किसी भी यात्री के उड़ान भरने का कोई निश्चित समय नहीं है, हेलिकॉप्टर की क्षमता एक साथ केवल पाँच या छः   यात्रिओं को ले जाने की है और उन सभी यात्रियों का वजन की भी एक सीमा निर्धारित थी जिसके कारण कभी-कभी एक परिवार के लोग हेलिकॉप्टर से एक साथ उड़ान नहीं भर पा रहे थे. हेलिकॉप्टर की संख्या एक ही थी अतः हेलिकॉप्टर को दूसरी उड़ान भरने में आधा घंटा लग रहा था. बीते दिनों मौसम ख़राब होने से हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाया था इस लिए यात्रियों की भीड़ ज्यादा थी. हमोलोगों में से चार व्यक्तियों को बुला लिया जिसमें मैं, मेरी पत्नी, मेरा बेटा, मेरी भाई की छोटी बेटी और साथ में दो अन्य यात्री थे. मेरी भाई की पत्नी को डर लग रहा था अतः वह मेरी पत्नी के साथ जाना चाह रही थी. रिक्वेस्ट करने पर बेटी को छोड़ उसकी पत्नी को साथ लिया गया. हम सभी के लिए यह प्रथम हेलिकॉप्टर यात्रा थी इसलिए थोड़ा डर और रोमांच दोनों का अनुभव हो रहा था. जरूरी एहतियात के निर्देश पहले दे दिए गए और हमलोगों को हैलीपैड के एक किनारे खड़ा कर दिया गया. हेलिकॉप्टर जब लैंड करने लगा तो जोरों से हवा चलने लगी, अपने आप को संभालना मुश्किल हो रहा था. इतने में कुछ फिल्ड स्टाफ दौड़ कर हेलिकॉप्टर से यात्री निकाल कर बाहर लाए और एक सबका सामान ले आया. एक स्टाफ मेरे बेटे को पकड़ा था जिसे पाइलट के साथ बैठना था हम तीनों को दूसरा स्टाफ पकड़ा था और सामने के दरवाजे से प्रवेश करना था. तीसरा स्टाफ अन्य दो यात्रिओं को पकड़ रखा था जिन्हें हेलिकॉप्टर के आगे से होकर दूसरे दरवाजे से प्रवेश करना था. निर्धारित निर्देशानुसार फिल्ड स्टाफ दरवाजा खोला एवं हमलोगों को बैठकर सिट-बेल्ट बाँध कर दरवाजा बंद कर दिया और चंद सेकेंडों में हमलोग घाटियों के ऊपर उड़ान भरने लगे.

ऐसे तो मुझे ऊँचे स्थान से नीचे देखने में डर लगता है परन्तु हेलिकॉप्टर से हज़ारों फीट नीचे का नज़ारा देखने में मुझे डर नहीं वरन् रोमांच महसूस हो रहा था. नीचे तीनों तरफ पहाड़ों की चोटियाँ और बीच में हज़ारों फीट गहरी घाटी नज़र आ रही थी. मंदाकिनी नदी एक पतली धारा के रूप जगह-जगह पर दिख रही थी. उड़ते हुए ऐसे विहंगम दृश्य को देखना अपने-आप में साहसिक कारनामे जैसा लगने के कारण सीना गर्व से चौड़ा हो रहा था. इन्हीं नजारों में खोए थे कि सामने श्री केदारनाथ जी का हैलीपैड दिखा और करीब दोपहर 12:25 बजे हमलोगों को पिनाकल के फिल्ड स्टाफ ने नीचे उतार कर हैलीपैड से बाहर किया. ऐसे तो मैंने बोईंग विमान यात्रा की है परन्तु जो रोमांच हेलिकॉप्टर के उड़ान में मिली वह हवाई जहाज में नहीं मिली. हमलोग हैलीपैड के बाहर अपने अन्य परिवार वालों के आने का इंतज़ार कर रहे थे. एक-एक करके कई हेलिकॉप्टर आई और चली गई. असल में श्री केदारनाथ जी के हैलीपैड पर सभी कंपनियों की हेलिकॉप्टर अपने-अपने हैलीपैड से उड़ान भर कर पहुँचती हैं. करीब चालीस मिनट के बाद परिवार के अन्य चार सदस्य पहुँच गए, जिनकी तस्वीरें हमलोगों ने ली. 





हमलोग वहाँ चाय पी और सामान लेकर सबसे पहले भोजन किया फिर आगे बढ़े. श्री केदारनाथ जी की मंदिर के दर्शन को सभी लालायित थे. जैसे हमलोग आगे बढ़े बूंदा-बांदी शुरू हो गई परन्तु किसी के उत्साह में कोई कमी नहीं आ रही थी. सबसे पहले मंदाकिनी नदी मिली, उनके ऊपर बने पूल को पार किया  तो श्री केदारनाथ जी के मंदिर का शीर्ष दिखा। मंदिर के शीर्ष को देखकर स्वतः पैर तेज़ चलने लगे. हैलीपैड से मंदिर तक का रास्ता इतना सुगम था कि लग ही नहीं रहा था हमलोग किसी दुर्गम स्थल के पास हैं. कुछ सीढियाँ चढ़ने के बाद श्री केदारनाथ जी की मनमोहक मंदिर हम लोगों के समुख थी. भाव-विभोर होकर हमलोगों ने हाथ जोड़ कर मंदिर के आगे नतमस्तक हुए. मंदिर की परिक्रमा कर हमलोग ठहरने के लिए जगह की तलाश शुरू की. जब हमलोग हैलीपैड उतरे थे तो वहीँ पास में GMVN के अस्थाई कमरे बने हुए थे और कमरे में टू-टायर बेड लगे हुए थे. वो मुझे ख़ास अच्छा नहीं लगा था और जब हम मंदिर की तरफ जा रहे थे तो मुझे पंजाब एंड सिंध नामक धर्मशाला दिखा. मैं वहीँ चला गया. केयर टेकर ने मेरा परिचय पूछ कर कहने लगा कि कपूरथला का धर्मशाला है आप वहाँ चलें जाएं. मुझे उसका कमरा अच्छा लगा था और हलकी बारिश भी हो रही थी तो मैंने धर्मशाला के केयर-टेकर को समझा कर अपना वहीँ रुकने का इरादा बता दिया. उसने अपना रजिस्टर निकाला और औपचारिकता पुरी करने को कहा. अभी हमलोग औपचारिकता पूरी कर सामान कमरे में रखने ही वाले थे कि कपूरथला धर्मशाला के पंडित जी अपनी छतरी ले कर पहुँच कर बड़े प्यार से कहा "महाराज जी, आप मेरे यहाँ चले अगर आप को वह जगह पसंद ना आए तो आप यहाँ आकर ठहर लेना." हमदोनों भाई पंडित जी के साथ गए. वाकई में धर्मशाला होटल जैसा था तो हमलोग सपरिवार यहाँ आकर टिक गए. श्री केदारनाथ जी मंदिर के दोनों तरफ एक क़स्बा बस गया है. आप यहाँ आकर यह महसूस नहीं कर पायेंगे कि आप किसी दुर्गम स्थल पर है. श्री केदारनाथ जी मंदिर के आस-पास अत्याधुनिक साज-सज्जा से युक्त धर्मशालाएं, चौबीस घंटों बिजली की सप्लाई, सभी तरह के शाकाहारी भोजन और टाइल्स लगी सड़के और सडकों के किनारे लगे सुंदर लैप पोस्ट सभी यात्रियों के मन मोहने में सक्षम है. 
इस यात्रा के दौरान नजारों का लुत्फ़ आप नीचे दिए गए चित्रों से लें :














शेष  23-11-2018 के  अंक में .................................

भाग -1  पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व

भाग -2 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व


भाग -3 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :


आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3)  हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश)

भाग -4 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4)  लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा

भाग -5 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5)  यमनोत्री धाम की यात्रा

भाग -6 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन

भाग -7 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा)

भाग -8


This post first appeared on RAKESH KI RACHANAY, please read the originial post: here

Share the post

आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 9)

×

Subscribe to Rakesh Ki Rachanay

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×