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मित्र मंडली -65



मित्रों , 
"मित्र मंडली" का  पैंसठ  वाँ अंक का पोस्ट प्रस्तुत है।इस पोस्ट में मेरे ब्लॉग के फॉलोवर्स/अनुसरणकर्ताओं के हिंदी पोस्ट की लिंक के साथ उस पोस्ट के प्रति मेरी भावाभिव्यक्ति सलंग्न है। पोस्टों का चयन साप्ताहिक आधार पर किया गया है। इसमें दिनांक 09.04.2018  से 15.04.2018 तक के हिंदी पोस्टों का संकलन है।

पुराने मित्र-मंडली पोस्टों को मैंने मित्र-मंडली पेज पर सहेज दिया है और अब से प्रकाशित मित्र-मंडली का पोस्ट 7 दिन के बाद केवल मित्र-मंडली पेज पर ही दिखेगा, जिसका लिंक नीचे दिया जा रहा है : HTTPS://RAKESHKIRACHANAY.BLOGSPOT.IN/P/BLOG-PAGE_25.HTML मित्र-मंडली के प्रकाशन का उद्देश्य मेरे मित्रों की रचना को ज्यादा से ज्यादा पाठकों तक पहुँचाना है। आप सभी पाठकगण से निवेदन है कि दिए गए लिंक के पोस्ट को पढ़ कर, टिप्पणी के माध्यम से अपने विचार जरूर लिखें। विश्वास करें ! आपके द्वारा दिए गए विचार लेखकों के लिए अनमोल होगा। 
प्रार्थी 
राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"

मित्र मंडली -65  
(नोट : मेरे ब्लॉग के किसी भी अनुसरणकर्ता  मित्र का पोस्ट, इस मित्र मंडली के पुराने संस्करण में सम्मलित नहीं हो पा रहा हो तो मुझे e-mail द्वारा सूचित करें। मेरा e-mail id है : [email protected] )

इस सप्ताह के नौ महिला रचनाकार 

इस सप्ताह मेरे मित्र मंडली के तीन नए सदस्यों की रचना प्रस्तुत है।  
1 . एक यवनिका गिरने को है

कुसुम कोठारी जी 

"जीवन के रंगमंच पर अपने जीवन के अंत की सच्चाई को बयां करती  सुन्दर रचना।"


2 . तुम और मैं एकल

सुप्रिया पाण्डेय   जी 

"स्त्री के नैसर्गिक स्वभाव को एक प्रेमिका के माध्यम से व्यक्त करती सुन्दर कविता। स्त्री- माँ, पत्नी, प्रेमिका, बहन, बेटी किसी भी रूप में पुरुष को चिंता मुक्त देखना चाहती है, उसे सुखी देखना चाहती है।  सूंदर प्रस्तुति। "
3 . विदा का नृत्य


अपर्णा बाजपई  जी 

"किसान और प्रकृति के दर्द को बयां करती सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति। "


अलाव तेरे प्यार की

शकुंतला शकु जी 

"माता पिता द्वारा तय किए गए विवाह में भी अपने मन-भावन जीवन साथी पाने की अपनी भावपूर्ण अनुभव को बयां करती  सुन्दर रचना। "

अपने रक्षण हेतु लो हाथों में तलवार

नीतू ठाकुर   जी 

"नीतू जी की ही शब्दों में : आधुनिकता के दौर में नैतिक मूल्यों का नाश हो रहा है। मानवता को शर्मसार कर दे ऐसी घटनायें दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही हैं। नारी को उपभोग की वस्तू समझने वालों को उचित दंड मिलना अनिवार्य है। एक मनुष्य होने के नाते हमारा परम कर्तव्य है की हम अपनी आवाज बुलंद करें ताकि फिर कोई कुकर्मी ऐसा जघन्य अपराध करने से पूर्व सौ बार सोचे। अपने रक्षण हेतु नारी को खुद सशक्त होना पड़ेगा। भक्षणकर्ता  से रक्षण की उम्मीद बेकार है। शक्तिशाली बनें अगर बली नही चढ़ना चाहती। सुन्दर प्रस्तुति। 

उपालम्भ

मीना भारद्वाज  जी 

"बुद्ध की महानता से परिचय कराती और साथ में नारी सुलभ मन की जिज्ञासा व्यक्त करती सुन्दर कविता। " 

ख़ामोश मौतें!!

अनु अन्न लागुरी  जी 

"नीतू जी की ही शब्दों को विस्तार देती सुन्दर भावपूर्ण रचना। "......

सांस्कृतिक चेतना का पर्व -- बैशाखी --


रेणु  बाला जी  

"पंजाबी विरसा  की महानता से रूबरू कराता सुन्दर आलेख। "

अहिल्या को नहीं भुगतना पड़ेगा.....मन की उपज

यशोदा अग्रवाल  

"नारी आवाज़ को बुलंद करती और अपने भाग्य की खुद भाग्यविधाता बनाने की आवाहन  करती सुन्दर रचना। "
आशा है कि मेरा प्रयास आपको अच्छा लगेगा ।  आपका सुझाव अपेक्षित है। अगला अंक 23-04-2018  को प्रकाशित होगा। धन्यवाद ! अंत में ....

मेरी प्रस्तुति  :
1.MEME SERIES - 5

2.हरिके वेटलैंड एवं वन्यजीव अभ्यारण्य (भाग-2)



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