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मित्र मंडली - 29




मित्रों ,
"मित्र मंडली" का उनतीसवां अंक का पोस्ट प्रस्तुत है। इस पोस्ट में मेरे ब्लॉग के फॉलोवर्स/अनुसरणकर्ताओं के हिंदी पोस्ट की लिंक के साथ उस पोस्ट के प्रति मेरी भावाभिव्यक्ति सलंग्न है। पोस्टों का चयन साप्ताहिक आधार पर किया गया है।  इसमें  दिनांक 31.07.2017  से 06.08.2017  तक के हिंदी पोस्टों का संकलन है।

पुराने मित्र-मंडली पोस्टों को मैंने मित्र-मंडली पेज पर सहेज दिया है और अब से प्रकाशित मित्र-मंडली का पोस्ट 7 दिन के बाद केवल मित्र-मंडली पेज पर ही दिखेगा, जिसका लिंक नीचे दिया जा रहा है  :-
HTTPS://RAKESHKIRACHANAY.BLOGSPOT.IN/P/BLOG-PAGE_25.HTML
मित्र-मंडली के प्रकाशन का उद्देश्य मेरे मित्रों की रचना को ज्यादा से ज्यादा पाठकों  तक पहुँचाना है। 

आप सभी पाठकगण से निवेदन है कि दिए गए लिंक के पोस्ट को पढ़ कर, टिप्पणी  के माध्यम से अपने विचार जरूर लिखें। विश्वास करें ! आपके द्वारा दिए गए विचार लेखकों के लिए अनमोल होगा।  

प्रार्थी 

राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"
मित्र मंडली - 29  

इस सप्ताह के सात रचनाकार 


हर युग के कुछ सवाल हैं जो हल नहीं हुए ...

दिगम्बर नसवा  जी 



सुंदर क़तआत (मुक्तक)। एक से बढ़कर एक शेर और ग़ज़ल का समापन बहुत ही सुन्दर किया है। 

काला पूरा काला सफेद पूरा सफेद अब कहीं नहीं दिखेगा

सुशील कुमार जोशी  जी 

काला-सफ़ेद का घालमेल अब केवल राजनीति में ही नहीं, अपने गिरेबां में झाँके तो सब का काला चेहरा सफ़ेद हो जाए, अब तो तो चंद उलूक बचे है काले और सफ़ेद को अलग देखना चाहते है। देखते रहो उलूक दिन में सपने, खैर है की सपने देखना अभिव्यक्ति की आजादी का हनन के श्रेणी में नहीं आता।

हवन करेंगे

हर्ष वर्धन जोग जी 

अपने अनोखे अंदाज में प्रस्तुत लघु-कथा, रोचक है। समाज में हो रहे संवादहीनता एवं अपनी इच्छा अपनों पर थोपने की प्रवृति पर कटाक्ष करती सुन्दर कथा।


संतुलन में ही सुख है। अति या अल्प में दुःख है। जब बात प्रकृति की हो तो अति या अल्प दोनों स्थिति में मानव जीवन के लिए कहर बन जाती है और ऐसी स्थिति में पर्यावरण संतुलन बनाय रखना मानव जीवन के लिए अति आवश्यक है। इसी सन्दर्भ की  दो मार्मिक रचनाएँ।



१.  *कुदरत की मार*

सुधा  देवरानी जी 


२. लाल मौत

श्वेता सिन्हा जी 


बांध कलाई में राखी बहिना अपना प्यार जताती है

कविता  रावत जी 

भाई-बहन का प्यार तो जग-जाहिर है और उसका गवाह है रक्षाबंधन एवं भैया-दूज, तो पढ़िए एक बहन का अहसास को और आनंद लें  । सुन्दर भावाभिव्यक्ति। 

बाबुल मेरे ! 

मीना शर्मा जी 

सावन और मायका का अटूट सम्बन्ध है। स्त्रियों के लिए यह महीना बाबुल  के प्यार को याद दिलाती है, परन्तु भारतीय समाज में बिना बुलावा के स्त्री मायके नहीं जाती तो प्रत्येक विवाहिता स्त्री को मायके से बुलावा का इंतज़ार इस सावन के महीने में अवश्य रहता है। इसी सुन्दर मनोभाव को एक सुन्दर रचना में प्रस्तुत किया है । आप भी आनंद लें।



आशा है कि मेरा प्रयास आपको अच्छा लगेगा ।  आपका सुझाव अपेक्षित है। अगला अंक 14 -08-2017  को प्रकाशित होगा। धन्यवाद ! अंत में ....

मेरी एक रचना   :-

एक भारत श्रेष्ठ भारत




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