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प्रसिद्ध लेखिका अरुंधती रॉय | Arundhati Roy Biography

सुज़न्ना अरुंधती रॉय – Arundhati Roy एक भारतीय लेखिका है। वह अपने प्रसिद्ध उपन्यास दी गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स (1997) के लिए जानि जाती है। 1997 में इस किताब को मैन बुकर प्राइज भी दिया गया था। गैर-प्रवासी भारतीय द्वारा लिखे गये इस उपन्यास की सर्वधियाँ प्रतियाँ बिकी थी। साथ ही वह मानव अधिकार और पर्यावरणीय कारणों से जुडी हुई राजनीतिक कार्यकर्ता भी है।

प्रसिद्ध लेखिका अरुंधती रॉय – Arundhati Roy Biography

अरुंधती रॉय प्रारंभिक जीवन – Arundhati Roy Early Life:

अरुंधती रॉय का जन्म भारत के मेघालय के शिलोंग में हुआ था। उनका जन्म बंगाली-हिन्दू चाय उगाने वाले कलकत्ता के मेनेजर राजीब रॉय और मलयाली सीरियन क्रिस्चियन महिला मैरी रॉय के घर में हुआ। वह वह दो साल की थी, तभी उनके माता-पिता का तलाक हो गया और इसके बाद वह अपनी माँ और भाई के साथ केरला में रहने लगी। कुछ समय तक उनका परिवार रॉय के दादा के साथ तमिलनाडु के ऊटी में रहने लगा था। इसके बाद जब वह 5 साल की हो चुकी थी, तब उनका परिवार रहने के लिए वापिस केरला आ गया और वहाँ उनकी माँ ने एक स्कूल खोला।

रॉय ने कोट्टायम के कार्पस च्रिस्ती स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद तमिलनाडु के निलगिरी में लोवेड़ाले की लॉरेंस स्कूल में वह पढने लगी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के स्कूल ऑफ़ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर से आर्किटेक्चर की पढाई पूरी की। यही उनकी मुलाकात आर्किटेक्ट गेरार्ड दा कुन्हा से हुई। अलग होने से पहले वे दोनों साथ में पहले दिल्ली रहते थे और फिर गोवा में भी वे साथ में रहे।

अरुंधती रॉय निजी जिंदगी – Arundhati Roy Personal Life:

रॉय के दिल्ली वापिस आने के बाद उन्हें नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ अर्बन अफेयर्स में अच्छा पद मिला। 1984 में उनकी मुलाकात स्वतंत्र फिल्मनिर्माता प्रदीप कृष्ण से हुई, जिन्होंने रॉय को अवार्ड विनिंग फिल्म मेसी साहिब में गड़ेरिया का किरदार दिया था। बाद में इन दोनों ने शादी कर ली। इसके बाद भारतीय स्वतंत्रता अभियान पर आधारित टेलीविज़न सीरीज में और दो फिल्म एनी और इलेक्ट्रिक मून में भी वे साथ में दिखे। इसके बाद फ़िल्मी दुनिया से मोहभंग कर रॉय बहुत सी जगह पर जॉब करने लगी और कुछ समय तक तो उन्होंने एरोबिक्स की क्लासेज भी ली। कुछ समय बाद रॉय और कृष्ण भी अलग हो गये। इसके बाद 1997 में अपने नॉवेल दी गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स के प्रकाशन की सफलता के बाद उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली और इससे उन्हें आर्थिक सहायता भी मिली।

रॉय, प्रसिद्ध मीडिया पर्सनालिटी प्रन्नोय रॉय की बहन है। प्रन्नोय रॉय लीडिंग भारतीय टीवी मीडिया समूह NDTV के हेड है। वर्तमान में वह दिल्ली में रहती है।

अरुंधती रॉय के बारे में कुछ रोचक बाते – Interesting Facts about Arundhati Roy:

1. अरुधंति रॉय और उनके पहले पति गेरार्ड दा कुन्हा जीने के लिए गोवा में केक बेचते थे। इसके बाद उन्होंने बहुत से दुसरे जॉब भी किये। जिनमे आर्टिस्ट से लेकर एरोबिक्स की क्लासेज तक शामिल है।

2. 1997 में उनके उपन्यास दी गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स को मैन बुकर प्राइज मिला। साथ ही इस किताब को ‘न्यू यॉर्क टाइम्स नोटेबल बुक्स ऑफ़ दी इयर 1997’ में भी शामिल किया गया।

3. जब अरुंधती की दी गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स का प्रकाशन किया गया तब अरुंधती रॉय बुरी तरह से किसी दुसरे विवाद में उलझी हुई थी।

4. रॉय ने फिल्मो में भी काम किया था। उनके दुसरे पति फिल्मनिर्माता प्रदीप किशन ने उन्हें फिल्म मेसी साब में छोटा सा रोल दिया था। इसके बाद अरुंधती ने बहुत से टेलीविज़न सीरीज जैसे भारतीय स्वतंत्रता अभियान और दो फिल्म, एनी और इलेक्ट्रिक मून के लिए लिखने का काम भी किया है।

5. रॉय ने बहुत से सामाजिक और पर्यावरणीय अभियानों में भाग लिया है। आम आदमी की तरफ से मानवों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ निडर होकर आवाज उठाने हिम्मत को देखकर उन्हें 2002 में लंनन कल्चरल फ्रीडम अवार्ड और 2004 में सिडनी पीस प्राइज और 2006 में साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया।

6. दी गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स के लिखने से पहले, रॉय टेलीविज़न नाटको और फिल्मो में छोटे-मोटे कम करती थी। 1988 में रॉय को बेस्ट स्क्रीनप्ले का राष्ट्रिय फिल्म अवार्ड भी मिला था।

7. इसके बाद अरुंधती रॉय तब ज्यादा चर्चा में आयी जब उन्होंने शेखर कपूर की ब्लॉकबस्टर फिल्म बंदित क्वीन की आलोचना की। इसमें उन्होंने फिल्म में महिलाओ पर दिखाए गये अत्याचारों का जमकर विरोध किया था और इसका प्रभाव फिल्म के दर्शको पर भी पड़ा।

8. वैश्वीकरण विरोधी अभियान और USA की विदेश निति के आलोचकों की वह प्रवक्ता है। उन्होंने नुक्लेअर डील और उद्योगीकीकरण के लिए भारतीय राजनीती की भी आलोचना की है।

9. इसके साथ-साथ उन्होंने भारत, श्रीलंका और यूनाइटेड स्टेट की बहुत सी सरकारी नीतियों के खिलाफ भी लेख लिखे है। हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नामनिर्देशन की भी आलोचना की थी और मोदी को उन्होंने “सबसे सैन्यवादी और आक्रमक” प्रधानमंत्री पद का उम्मेदवार बताया था।

10. इसके बाद सामाजिक और भारत में धार्मिक असहिष्णुता के खिलाफ चले मुक़दमे में उन्होंने साहित्य अकादमी पुरस्कार को लौटा दिया था।

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